सरकारी मैगजीन में 'घूंघट की आन-बान, म्हारे हरियाणा की पहचान' पर विवादों में फंसी खट्टर सरकार

एक महिला जिसका पूरा चेहरा एक चुन्नी से ढंका हुआ है जो कि अपने सिर पर मवेशियों का चारा ढो कर ले जा रही है। इस फोटो के कैप्शन में दिया है, 'घूंघट की आन-बान, म्हारे हरियाणा की पहचान'

Update: 2017-06-28 06:48 GMT
(Photo Source: Haryana krishi samvad)
हरियाणा की खट्टर सरकार एक विवादों में फंस गयी है। सरकार द्वारा प्रकाशित की जा रही मासिक पत्रिका में छपी एक फोटो से नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा संवाद और कृषि संवाद के नाम से मासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा है। जिसमें कहा गया है कि 'घूंघट' में महिला जो कि राज्य की पहचान है। कृषि संवाद के मार्च इशू मे मुख्यमंत्री की एक बड़ी से स्माइल वाली कवर पेज पर फोटो लगी हुई। 

वहीं, इसके सबसे आखिरी पेज पर एक महिला दिखाई गई है जिसका पूरा चेहरा एक चुन्नी से ढंका हुआ है जो कि अपने सिर पर मवेशियों का चारा ढो कर ले जा रही है। इस फोटो के कैप्शन में दिया है, "घूंघट की आन-बान, म्हारे हरियाणा की पहचान"।

यह स्थिति तब पैदा हुई है जब हरियाणा के मुख्यमंत्री खुद कई कार्यक्रमों के दौरान महिलाओं की पर्दा-प्रथा का विरोध कर चुके हैं और दर्जन भर संगठन इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए काम कर रहे हैं। 

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी और हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 


 

हरियाणा के जींद के बीबीपुर गांव जोकि "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" और "सेल्फी विद डॉटर" जैसे अभियानों के लिए जाना जाता है। वहां की महिलाओं का कहना है कि अगर उन्हें कल्पना चावला और सानिया मिर्जा बनना है तो वे कैसे घूंघट की आड़ में रहेंगी। जींद की नारी शक्ति का ये भी कहना है की खट्टर सरकार को इस स्लोगन को तुरंत वापिस लेना चाहिए। 


नारियों को घूंघट में रखने के सरकारी मैगजीन के स्लोगन को लेकर कांग्रेस ने भी हरियाणा सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है कि एक और तो सरकार "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" जैसे अभियान चलाने का दावा करके वाहवाही लूटने में लगी है और वहीं दूसरी ओर नारियों के घुंघट में छिपे रहने को अपनी शान बता कर अपनी संकीर्ण मानसिकता का उदाहरण भी दे रही है।

कांग्रेस का कहना है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना फर्क है और नारियों और उनकी हालत सुघारने को लेकर सरकार की क्या सोच है वो सरकार की इस मैगजीन पर लिखे स्लोगन ने साफ कर दिया है।
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