खट्टर सरकार की एक और परीक्षा, हरियाणा में जाट-आरक्षण पर आज आएगा फैसला

Update: 2017-09-01 09:00 GMT

चंडीगढ़ : डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर फैसले आने के बाद अब खट्टर सरकार के लिए जाट आरक्षण पर आने वाला फैसला भी किसी सिरदर्द से कम नहीं है। आज दोपहर जाट आरक्षण पर आने वाले फैसले को लेकर सब की नजरें कोर्ट के फैसले पर टीकी हुई हैं। ऐसे में कहा जाए तो खट्टर सरकार के लिए एक बार फिर परीक्षा की घड़ी आ गई है।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट आज हरियाणा में जाटों सहित 6 जातियों को पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण के लाभ पर अपना फैसला सुनाएगी। ये फैसला जस्टिस एसएस सारों, जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ सुनाएगी। इस मामले में छह मार्च को फैसला सुरक्षित रखा गया था।

दरअशल जस्टिस सारों तीन सितंबर को रिटायर होने जा रहे हैं। ऐसे में उनका ये फैसला रिटायरमेंट से ठीक पहले दिया जा रहा है। याचिका पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में हरियाणा शिक्षा विभाग के आंकड़े कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि अलग अलग पदों पर जाटों का प्रतिनिधित्व 30 से 56 प्रतिशत है जबकि हरियाणा सरकार की दलील थी कि ये आंकड़े गलत हैं।

उसका कहना है कि जाति के आधार पर कोई आंकड़े हैं ही नहीं और याचिकाकर्ता ने यह डाटा खुद ही तैयार किया है लेकिन खंडपीठ ने इस पर कहा कि यह संभव नहीं है कि इतने बड़े स्तर पर आंकड़े खुद तैयार किए जाएं। सरकार के पास यह आंकड़े जरूर होंगे।

आपको बता दें कि पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान राज्य में भयंकर हिंसा हुई थी। सरकार अभी तक अतीत के जाट आरक्षण आंदोलन को भुला नहीं पाई है। इस आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई थी और विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कई जगहों पर आगजनी की गई थी जिसमें अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान पहुंचा था।

ऐसे में आज के फैसले के बाद की स्थितियों को लेकर उच्च स्तर पर मंथन शुरू हो गया है। सरकार के लिए आज का दिन काफी अहम हो गया है। अभी हाल ही में राम रहीम की गिरफ़्तारी के बाद भी राज्य में हिंसा हुई थी और इसे लेकर खट्टर सरकार की आज तक आलोचना हो रही है। डेरा प्रमुख के फैसले से फैले उन्माद को रोकने के लिए अभी तक सरकार को मशक्कत करनी पड़ रही है।

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