ये है वो IAS महिला अफसर जिसने पंचकूला में अकेले राम रहीम के गुंडों से लिया मोर्चा!
डेरा पद्रवियों से डरकर जहां हरियाणा पुलिस के जवानों के भगाने की खबर आ रही थी, उसी बीच एक लेडी अफसर इन उपद्रवियों से अकेले लोहा ले रही थीं।
नई दिल्ली : सीबीआई की विशेष अदालत ने डेरा प्रमुख राम रहीम को दोषी करार दिया। राम रहीम को दोषी करार दिए जाने के बाद उसके समर्थकों ने जमकर बवाल किया है। इन उपद्रवियों से डरकर जहां हरियाणा पुलिस के जवानों के भगाने की खबर आ रही थी, उसी बीच एक लेडी अफसर इन उपद्रवियों से अकेले लोहा ले रही थीं।
पंचकूला की डिप्टी कमिश्नर गौरी पराशर जोशी ने अपने जज्बे और बहादुरी से न सिर्फ रेपिस्ट राम रहीम के समर्थकों को पीछे धकेला बल्कि कपड़े फट जाने पर भी अपनी ड्यूटी पर जमी रहीं।
डेरा समर्थकों का गुस्सा देखकर बहादूरी का दंभ भरने वाले हरियाणा पुलिस के जवान 2009 की आईएएस अफसर गौरी पराशर जोशी को मुश्किल हालातों में छोड़कर भाग खड़े हुए।
समर्थकों ने पत्थर और लाठियों से वार करना शुरू कर दिया था। ऐसे में 11 साल के बच्चे की मां गौरी को समर्थकों का अकेले सामना करना पड़ा। इस वजह से उन्हें काफी चोटें आईं। यही नहीं उनके कपड़े भी फट गए थे। सिर्फ एक पीसीओ के साथ अकेले छूट जाने के बाद भी गौरी ने सामना करना जारी रखा। वह उन्हीं हालतों में ऑफिस पहुंचीं और सेना को एक आदेश की कॉपी थमाई। इस आदेश की मदद से सेना ने पंचकूला में माहौल को और बिगड़ने से रोका।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक लोकल लोगों ने कहा कि अगर सेना के जवान नहीं आए होते तो मंजर कुछ और होता। लोकल पुलिस जिसे हमने दो दिनों तक नास्ता पानी दिया था, उनलोगों ने ही समर्थकों के उग्र होने पर सबसे पहले साथ छोड़ा। यह कहना था पंचकूला निवासी सतिंदर नांगिया का।
घायल होने के बाद भी गौरी ने मोर्चा नहीं छोड़ा और सुबह 3 बजे हालात सामान्य होने पर ही घर वापस लौटीं। उनके घर लौटने से पहले उन्होंने बिगड़े माहौल को अंडर कंट्रोल कर लिया था।
गौरी ने अपने करियर में इससे पहले भी नाजूक और गंभीर हालातों का सामना किया है। इससे पहले वह ओडिशा के नक्सल प्रभावित इलाके कालाहांडी में सेवा दे चुकी हैं। वह ओडिशा कैडर की ही आईएएस अफसर हैं और डेपुटेशन पर हरियाणा आई हैं।