'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' का आगाज, सिरसा में लगे अनोखे मेले को देखने पहुंचा जनसैलाब

दर्शकों के मनोरंजन के लिए राजस्थानी, हरियाणवी नृत्य, घोड़ी व ऊंट के डांस, ऊंट की सवारी, तरह तरह के झूले, मौत का कुआं, ड्रेगन, बे्रक डांस, पिल्लर कटर, मिक्की माऊस इत्यादि लगाए गए हैं..

Update: 2017-08-10 15:17 GMT
धर्मगुरु व संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के 50वें गोल्डन जुबली बर्थ डे के अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में 'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अपने कर कमलों से रिबन जोड़कर किया। सप्ताह भर चलने वाला यह मेला करीब दस एकड़ में लगाया गया है, जिसमें भारत की लुप्तप्राय होती मेले की विरासत के साथ साथ लघु भारत देखा जा सकता है। उद्घाटन के पश्चात मेले को देखने के लिए लोगों का हजूम उमड़ पड़ा और हर किसी ने मेले की तारीफ की।

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 शाह सतनाम जी धाम के निकट लगाए गए 'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' के उद्घाटन अवसर पर पूज्य गुरुजी के साथ शाही परिवार के सदस्य मौजूद थे। उद्घाटन के पश्चात पूज्य गुरुजी सभी स्टालों पर निरीक्षण करने पहुंचे तथा मेले की सराहना की। पूज्य गुरुजी ने स्टालों पर पहुंचकर उनके बारे में जानकारी ली तथा गेम्स की स्टाल पर गन व गुलेल से अचूक निशाना लगाया तथा बाद में छेद में बॉल डालने व बॉल थ्रो जैसे खेलों का भी आनंद लिया। विभिन्न प्रदेशों से आए स्टॉल संचालकों ने अपने अपने परिधानों में नाच गाकर पूज्य गुरुजी का स्वागत किया। पूज्य गुरुजी ने मेले में केशलैस सिस्टम का भी उद्घाटन किया।  

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 घोड़ी-ऊंट का डांस और भंगड़े से हुआ डॉ. एमएसजी का स्वागत 

पूज्य गुरुजी जब मेले में पधारे तो हर किसी ने अपने अपने अंदाज से स्वागत किया। किसी ने भंगड़े डाले तो किसी ने राजस्थानी गीत गाकर व नाचकर पूज्य गुरुजी का स्वागत किया। ट्रेक्टरों के बीच हार्स पॉवर कुश्ती करवाते युवा, डीजे फ्लोर पर नाचती हुई घोड़ी व विशालकाय चारपाई पर नाचता हुआ ऊंट तथा राजस्थानी कलाकार का मनमोहक डांस भी आकर्षण का केंद्र था। विभिन्न प्रदेशों से आए नर्तक-नर्तकियों ने भी अपने अपने प्रदेश की संस्कृति को दर्शाने वाले नृत्य प्रस्तुत किए।

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 मेला संस्कृति का बहुत बड़ा हिस्सा, याद आया बचपन: गुरुजी 

मीडिया से रूबरू होते हुए पूज्य गुरुजी ने कहा कि 'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' देखकर उन्हें अपना बचपन याद आ गया तथा वे भी खेलने लग गए। गांव में छोटे छोटे मेले लगते थे, जिनमें लोग मनोरंजन के साथ साथ घरेलू आवश्यकता की चीजें भी खरीद कर लेकर आते थे। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत महान है तथा मेला संस्कृति का बहुत बड़ा हिस्सा है, जो लुप्तप्राय: हो रही है। मेला देखकर लोग भारतीय संस्कृति से रूबरू होंगे। उन्होंने कहा कि 'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' में लघु भारत के दर्शन हुए हैं, जिसमें अलग अलग राज्यों का खाना व संस्कृति दर्शाई गई है।

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 उन्होंने कहा कि भगवान करे कि हमारी संस्कृति नौ बर नौ रहे, जिंदाबाद रहे। इसीलिए इस मेले का नाम 'एमएसजी नौ बर नौ कार्निवल(मेला)' रखा गया है। मेले में खान पान की चीजें, गेम्स, बीच में खरीददारी की वस्तुएं हैं तथा अलग अलग राज्यों से लोगों को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों व विदेशों से भी लोग आ रहे हैं तथा क्षेत्रवासियों से भी आह्वान है कि वे भी इस मेले का लाभ उठाएं।  

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 एक से बढ़कर एक स्टालें, मिनी भारत के दर्शन 

सरसा में पहली बार आयोजित हुए इतने बड़े मेले में देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति देखने को मिल रही हैं वहीं मनोरंजन के लिए भी अनेक तरह के झूले और गेम्स है। मेले में पूज्य गुरुजी द्वारा ली गई तस्वीरों, डेरा सच्चा सौदा के नाम दर्ज विश्व कीर्तिमानों की प्रदर्शनी लगाई गई है।
इसके अलावा पूज्य गुरुजी द्वारा बनाई गई अद्भूत गाडिय़ां भी आकर्षण का केंद्र हैं। मेले में सिद्धू स्पेशल पंजाबी ढाबा, राजस्थानी जीमनहार, जोधपुर स्पेशल, दिल्ली चांदनी चौक के गोल गप्पे, टिक्की इत्यादि, हिमाचल की कांगड़ी धाम, यूपी की लखनवी बिरयाणी व राजभोग, विदेशों में इटली-आस्ट्रेलिया-इंडिया-इंग्लैंड-अमेरिकन फूड, साउथ इंडियन डोसा हाऊस, पराठा स्पेशल सहित पुण्डरी की फिरनी, हांसी के पेड़े इत्यादि सहित विभिन्न प्रदेशों की दैनिक उपभोग की वस्तुएं, पंजाबी विरासत, हरियाणा, राजस्थान, वेस्टर्न, महाराष्ट्र, गुजराती, यूपी, हिमाचली, मुस्लिम व तिब्बती इत्यादि संस्कृति से रूबरू करवाने वाली वस्तुएं, इलैक्ट्रोनिक्स आईटमें, एमएसजी उत्पाद, जूते, कपड़े व खाने पीने की कुल 70 से अधिक स्टालें हैं।

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 दर्शकों के मनोरंजन के लिए राजस्थानी, हरियाणवी नृत्य, घोड़ी व ऊंट के डांस, ऊंट की सवारी, तरह तरह के झूले, मौत का कुआं, ड्रेगन, बे्रक डांस, पिल्लर कटर, मिक्की माऊस इत्यादि लगाए गए हैं। इसके साथ ही 'ऑन लाईन माही सिनेमा ' के द्वारा पूज्य गुरुजी की फिल्म जट्टू इंजीनियर भी दिखाई जा रही है। मेला सुबह 10 बजे से सायं 7 बजे तथा रात्रि 10 बजे से 2 बजे तक चलेगा।  

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 कोई बोला याद आया पुराना जमाना तो किसी ने कहा नहीं देखा ऐसा मेला 

मेला देखने पहुंचे लोगों ने अपने अपने अंदाज में मेले का लुत्फ उठाया। कोई कलाकारों के डांस देख रहा था तो कोई गेम्स खेल रहा था। किसी को विभिन्न तरह के खानों में रूचि थी तो कोई झूलों में खोया हुआ था। मेला देखने पहुंचे लोगों का कहना था कि पूज्य गुरुजी के बर्थ डे पर बहुत शानदार गिफ्ट मिला है, जिसमें एक ही जगह पर देश के विभिन्न राज्यों में मिलने वाला खाना, सामान, मनोरंजन के तरह तरह के साधन देखने को मिल रहे हैं और इन सब में पूज्य गुरुजी द्वारा डिजाइन की कई कारों को देखकर तो मन ही नहीं भरता। सब कुछ लाजबाब है।
बड़े बुजूर्गों का कहना है कि उन्हें अपना पुराना जमाना याद आ गया, जिसमें वे छोटे मेलों में ऐसी पुरानी चीजें देखते थे वहीं युवा व बच्चों ने कहा कि कंप्यूटर टैक्नोलॉजी व वीडियो गेम्स के इस जमाने में इस तरह का मेला उन्होंने पहली बार देखा है। वाकई गजब मेला है। वहीं मेले के दौरान दर्शक परंपरागत परिधान पहने हुए भी नजर आए। 
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