पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जाट आरक्षण पर रोक रखी बरकरार

Update: 2017-09-01 09:57 GMT

चंडीगढ़ : पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने हरियाणा में जाटों सहित 6 जातियों को पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण के लाभ पर अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले में कोर्ट ने जाट आरक्षण पर रोक बरकरार रखी।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जाट आरक्षण पर रोक बरकरार रखी है। कोर्ट ने 2018 तक राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को इस मामले पर रिपोर्ट देने को कहा है कि यह सही है या नहीं।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट आज हरियाणा में जाटों सहित 6 जातियों को पिछड़े वर्ग के तहत दिए गए आरक्षण के लाभ पर अपना फैसला सुनाई है। ये फैसला जस्टिस एसएस सारों, जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने सुनाई है। इस मामले में छह मार्च को फैसला सुरक्षित रखा गया था।

दरअशल याचिका पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में हरियाणा शिक्षा विभाग के आंकड़े कोर्ट में पेश करते हुए कहा कि अलग अलग पदों पर जाटों का प्रतिनिधित्व 30 से 56 प्रतिशत है जबकि हरियाणा सरकार की दलील थी कि ये आंकड़े गलत हैं।

उसका कहना है कि जाति के आधार पर कोई आंकड़े हैं ही नहीं और याचिकाकर्ता ने यह डाटा खुद ही तैयार किया है लेकिन खंडपीठ ने इस पर कहा कि यह संभव नहीं है कि इतने बड़े स्तर पर आंकड़े खुद तैयार किए जाएं। सरकार के पास यह आंकड़े जरूर होंगे।

आपको बता दें कि पिछले साल जाट आंदोलन के दौरान राज्य में भयंकर हिंसा हुई थी। सरकार अभी तक अतीत के जाट आरक्षण आंदोलन को भुला नहीं पाई है। इस आंदोलन में 30 लोगों की मौत हो गई थी और विरोध-प्रदर्शनों के दौरान कई जगहों पर आगजनी की गई थी जिसमें अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान पहुंचा था।

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