रामपुर
उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर के एसएसपी साहब ने 11 मिनट 56 सेकिंड मे वो कर दिखाया जिस की जितनी भी तारीफ की जाऐ वो कम है (संजीव त्यागी उन्होंने अपने फ़र्ज़ की ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया है। रामपुर के पुलिस कप्तान संजीव त्यागी जी से रात के 1:30 बजे बस में सवार अपनी बेटी के साथ नैनीताल से दिल्ली जा रही महिला अधिवक्ता ने घबराई हालत में अपने साथ हुई घटना बताई, तो फिर एसएसपी साहब ने केसे लिया जबरदस्त "Action", पूरे जनपद रामपुर की पुलिस को लगा दिया इस बस को पकड़ने में, बस पकड़ी भी गई और 5 लोग गिरफ़्तार भी हुए हैं, रामपुर मे क्राइम को भी बहुत कंट्रोल किया जा रहा है ।
आईपीएस अथवा किसी भी पुलिस अधिकारी को रामपुर में तैनात आईपीएस संजीव त्यागी की ही तरह मिसाल कायम करना चाहिए ।
पुलिस ही वह पहला माध्यम है, जब पीड़ित जनता न्याय की उम्मीद लगाए सबसे पहले पुलिस के दरवाजे पहुंचती है। अगर न्याय हमारे दरवाजे से ही जनता को उपलब्ध हो जाए तो वो क्यों न्यायालय तक पहुंचेंगे। इसलिए सबसे पहले तो पुलिस को जनता का विश्वास अर्जित करने की आवश्यक्ता है। रही बात तो पुलिस के व्यवहार और पुलिस की विश्वासनीयता की तो उसमें भी काफी सुधार होने की जरूरत है। जिससे कि एक आम जनता पुलिस से भय की जगह उन्हें न्यायप्रिय सेवक समझ सकें।
पुलिस के दृष्टिकोण में भी काफी परिवर्तन की जरूरत है क्योंकि जैसा कि आम लोग पुलिस को शासक नहीं सेवक समझ सकें। पुलिस को समय की जरूरत के अनुसार अपनी कार्यशैली में भी बदलाव लाने की जरूरत है और अपने को आधुनिक होने की आवश्यकता है। तभी हम अपराधी की मानसिकता को समय के साथ पकड़ सकेंगे। जिससे कि अपराध होने से पहले ही रोकने में मदद मिलेगी। पुलिस को हमेशा अपराधी की सोच से आगे होने की जरूरत है।
दानिश खान सोशल एक्टिविस्ट की एक खास रिपोर्ट स्पेशल कवरेज पर