इस देवी ने बुंदेलखंड में खोद डाला कुआँ, सलाम है इनको मेरा

Update: 2016-06-15 13:24 GMT
ललितपुर
 3 साल से लगातार सूखे पड़ रहे बुंदेलखंड में एक महिला दशरथ मांझी बन गई हैं। अपने गांव के लोगों को एक एक बूंद पानी के लिए तरसता देख महिला ने कुआं खोदने का फैसला किया। आज के समय में पूरा गांव इस कुएं से अपनी जरुरतें पूरी कर रहा है।

क्यों कुआं खोदने के लिए हुई प्रेरित
 ललितपुर के विकासखंड बिरधा के दूधई और बांसपुर गांव में सहरिया आदिवासी प्रजाति के लोग रहते हैं। यहां 40 साल की कस्तूरी देवी नाम की महिला रहती हैं। 
उनके पति की कुछ साल पहले ही मौत हो चुकी है। कस्तूरी का 24 साल का बेटा व 12 साल की बेटी है। बेटे की शादी हो चुकी है। कुछ समय पहले ही बेटे की भी शादी हुई। कस्तूरी बताती हैं, बहु को पानी के लिए काफी दूर जाना पड़ता था। गांव के पास वन विभाग की जमीन थी। वहां विभाग के बोरवेल से पानी भरते थे। विभाग ने हमें पानी भरने से रोक दिया। इसके बाद गांव के पास ही एक मंदिर से पानी लेना शुरू किया, तो यहां भी पानी खत्म होने के डर से पानी लेने से रोक दिया गया। 
इसी बात ने उन्‍हें कुआं खोदने के लिए प्रेरित किया।

गांव वालों ने पहले उड़ाया था मजाक
 कस्‍तूरी देवी ने कहा, मैंने पहले कुआं खोदने के प्‍लान के बारे में गांव वालों को बताया। लेकिन सभी ने मेरी बात को मजाक में ले लिया।  एक दिन मैंने गांव के पास पड़ी अपनी जमीन पर खुदाई शुरू कर दी। कुछ ही फीट खुदाई पर पानी आ गया। यह बात गांव वालों तक पहुंची। अगले दिन गांव के 50 लोग फावड़ा लेकर मेरे साथ कुआं खोदने में मदद करने लगे। 
लोगों ने 1 महीने में 12 फीट गहरा कुआं खोद दिया। अब कुएं में 4-5 फीट पानी है। इससे 30 से 40 परिवार के लोगों की पानी की समस्या का समाधान हो गया।

इस संस्‍था ने भी की मदद
साईं ज्योति संस्था को जब कस्तूरी की कोशिशों के बारे में पता चला तो उसने भी मदद की।  कुआं खोदने वाले करीब 50 लोगों और उनके परिवार को संस्था ने कपड़े उपलब्ध कराये, जिससे लोगों का उत्साह बढ़ा। आदिवासी महिला की कोशिशों के बारे में पता लगने पर डीएम रुपेश कुमार भी पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों की तारीफ करते हुए कहा, ये अच्छी कोशिश थी, जो सफल हुई।

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