शिवराज चौहान ने 300 पत्रकारों को 'तोहफ़े' में दी 60 रुपये/ वर्गफ़ुट ज़मीन ! लिस्ट देखिये !
भोपाल (वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेन्द्र कुमार की फेसबुक से)
मध्यप्रदेश के तमाम पत्ररकारों का अब यही नारा है। यही वजह है कि 40 क़त्ल वाले व्यापम यज्ञ के बावजूद मीडिया में कभी मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के ख़िलाफ़ वैसी निशानेबाज़ी नहीं दिखती जैसे कि दिल्ली के छोटे से छोटे मामले में दिखती है। कारावाँ पत्रिका के ताज़ा अंक में एक दिलचस्प स्टोरी छपी है जो बताती है कि शिवराज चौहान पत्रकारों को साधने में किस कदर उस्ताद हैं। उनकी सरकार ने 300 से ज़्यादा पत्रकारों के दो आवासीय समितियों को 60 रुपये वर्गफुट कीमत पर रिहायशी ज़मीन दे दी।
पत्रकारों की इन दोनों समितियों में लगभग 300 नाम शामिल हैं। अभिव्यक्ति समिति की मार्च 2012 की लिस्ट के मुताबिक तब इसमें 99 सदस्य थे जबकि सितंबर 2013 की लिस्ट के मुताबिक राजधानी पत्रकार समिति में 208 सदस्य थे। दो पत्रकार ऐसे भी थे जिनके नाम इन दोनों समितियों में थे। इन दोनों लिस्ट में शामिल पत्रकार राष्ट्रीय मीडिया में काम करने वाले या उन संस्थानों में कंट्रीब्यूट करने वाले हैं। इनमें द टेलिग्राफ के रशीद किदवई, टाइम्स नाऊ के हेमेंद्र शर्मा, ज़ी टीवी के आशुतोष गुप्ता, इंडियन एक्सप्रेस के मिलिंद घटवाई, पहले एनडीटीवी और अब डेलियो में कुमार शक्ति शेखर, मृगेंद्र सिंह भोपाल दैनिक जागरण के संपादक, पंजाब केसरी से जुड़े रहे मनीष शर्मा, न्यू़ज़ 24 के प्रवीण दुबे, इंडो एशियन न्यूज़ सर्विस के संदीप पुराणिक, एबीपी न्यूज़ के बृजेश राजपूत, द वीक के दीपक तिवारी, आउटलुक और अग्निबाण में रह चुके राजेश सिरोठिया, आईबीएन-7 के मनोज कुमार शर्मा और इंडिया न्यूज़ की दिप्ती चौरसिया शामिल हैं। दो पत्रकार जिनके नाम दोनों समितियों में मिले, वो स्वदेश अख़बार के मालिक और संपादक राजेंद्र शर्मा और इंडिया टुडे के शुरैह नियाज़ी हैं।