मुलायम के चहेते नहीं बचा पाए अपने भाई की कुर्सी, अविश्वास प्रस्ताव में 14 में से 10 वोट गिरे खिलाफ
Mulayam's fans can not save his brother's chair
गाजियाबाद : सपा के एमएलसी आशु मलिक के भाई और जिला पंचायत अध्यक्ष नूर हसन मलिक की लाल बत्ती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सोमवार को जिले के 14 में से दस जिला पंचायत सदस्यों ने अध्यक्ष नूर हसन मलिक के प्रति अविश्वास जताते हुए डीएम मिनिस्ती एस. को नोटिस सौंप दिया। नोटिस मिलते ही डीएम ने नियमानुसार कार्रवाई करते हुए इसकी सूचना जिला जज को दे दी है। जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
एकतरफा मुकाबले में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पाने वाले नूर हसन मलिक के खिलाफ सोमवार को 70 फीसदी से ज्यादा सदस्यों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया। जिले के 14 में दस जिला पंचायत सदस्यों ने मुरादनगर से भाजपा विधायक अजीतपाल त्यागी, साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा और पूर्व एमएलसी प्रशांत चौधरी आदि के साथ डीएम मिनिस्ती एस. से मिलकर अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया। जिला पंचायत सदस्यों ने विभिन्न कारण लिखित में सौंपते हुए अध्यक्ष के प्रति अविश्वास जाहिर किया। अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस मिलते ही डीएम मिनिस्ती एस. ने संवैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए जनपद न्यायाधीश नरेंद्र कुमार जौहरी को पूरे प्रकरण से अवगत कराया है।
जिला पंचायत अध्यक्ष नूर हसन मलिक को कुर्सी से हटाने के लिए भाजपा ने फूलप्रूफ प्ला¨नग से घेराबंदी की है। इसके पहले चरण में जिला पंचायत सदस्यों को विश्वास में लेने के साथ ही नोटिस की प्रक्रिया अपनाई गई। उत्तर प्रदेश क्षेत्र एवं जिला पंचायत अधिनियम-1961 की धारा-12 के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव से पहले जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष नोटिस देना अनिवार्य है। अगर बिना नोटिस के अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए तो यह अवैध माना जाएगा। इसी के चलते भाजपा विधायकों ने जिला पंचायत सदस्यों को खेमे में कर आगे कदम बढ़ाए।
एक महीने के भीतर पूरी होगी प्रक्रिया
जिला पंचायत सदस्यों की ओर से अविश्वास का नोटिस मिलते ही डीएम ने जिला जज को अवगत करा दिया। अब जिला जज प्रकरण को समझकर एक न्यायाधीश की नियुक्ति करेंगे, जिनके समक्ष अविश्वास प्रस्ताव रखा जाएगा। न्यायाधीश के समक्ष मतदान की प्रक्रिया संपन्न कराई जाएगी, जिसके बाद फैसला होगा कि अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है या गिरता है। नियमानुसार इसके लिए न्यूनतम 15 दिन और अधिकतम एक माह की अवधि निर्धारित है।
इन सदस्यों ने दिया अविश्वास का नोटिस
जिन सदस्यों ने जिला पंचायत अध्यक्ष नूर हसन मलिक के प्रति अविश्वास जताया है उनमें अनिल, शोकेंद्र कुमार, उदित, ममता, संजू, मुनजरीन, वीरमती, अमरपाल, मीनू देवी और रजनी शामिल हैं।
अजीतपाल त्यागी, विधायक, मुरादनगर
जिला पंचायत अध्यक्ष नूर हसन मलिक जनता और सदस्यों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे। जिला पंचायत के दस सदस्यों ने अध्यक्ष के प्रति अविश्वास जताते हुए डीएम को नोटिस दिया है।
सुनील शर्मा, विधायक, साहिबाबाद
14 में से दस जिला पंचायत सदस्यों को अविश्वास यह बताने के लिए काफी है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कार्यशैली क्या रही होगी? डीएम को नोटिस सौंपा गया है। आगे विधिसम्मत कार्यवाही की जाएगी।
मिनिस्ती एस., जिलाधिकारी
आज दस जिला पंचायत सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। नियमानुसार जनपद न्यायाधीश को इस बाबत अवगत करा दिया गया है। कानून के हिसाब से आगे की कार्यवाही की जाएगी।