क्या मोदी बीजेपी के बहादुर शाह जफर साबित होंगें?

Will Modi prove to be the Bahadur Shah Jafar of BJP?

Update: 2017-06-25 06:14 GMT
देश के तकरीबन हर हिस्से से आ रहीं अराजकता की खबरें अब लोगों के जेहन में यह सवाल उठाने लग गई हैं कि नरेंद्र मोदी कहीं भाजपा के बहादुर शाह जफर यानी अंतिम प्रधानमंत्री तो नहीं साबित होने वाले हैं. 

जिन्हें इतिहास का ज्ञान होगा, वह जानते होंगे कि साढ़े तीन सौ बरस तक समूचे हिंदुस्तान पर हुकूमत करने वाले मुगल साम्राज्य के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफर के समय में पूरा देश तो बहुत दूर की बात थी, दिल्ली और उसके आसपास ही मुगलिया कानून को मानने वाले नहीं रह गए थे. 

लिहाजा, बेबस जफर अपने महल में बैठे शायरी कर रहे थे और दिल्ली और उसके आसपास भीड़ अराजक हो चुकी थी. जाहिर है, ऐसे में मुगलिया सल्तनत पूरे देश में भला कैसे टिकी रहती, जब दिल्ली और सम्राट के किले में ही उसने दम तोड़ दिया था। कुछ-कुछ ऐसा ही नजारा इन दिनों मोदी के नेतृत्व में भाजपा की हुकूमत का भी है, जिसका राज तो इस समय दिल्ली समेत सारे देश पर है. लेकिन इनसे न तो कश्मीर संभल पा रहा है और न ही दिल्ली और उसके आसपास का इलाका...


अब देखिये, कल ही कश्मीर में धर्मांध भीड़ ने अपने ही धर्म के डीएसपी को मस्जिद के बाहर ही पीट-पीट कर मार डाला। इसे पढ़कर हम सभी देशवासियों को न सिर्फ गुस्सा आया बल्कि हैरत भी हुई कि आखिर किस कदर अराजकता फैली हुई है कश्मीर में फिर अचानक देश की राजधानी दिल्ली के बेहद नजदीक बल्लभगढ़ में वैसी ही भयावह घटना होने का समाचार आ गया.b
तो क्या अब हमारे देश में कानून का राज खत्म हो चुका है और हमारा देश भी अब पाकिस्तान, सीरिया, अफगानिस्तान जैसे अराजक मुल्कों में बदलने लगा है? जहां कश्मीर से लेकर दिल्ली तक, गुजरात से लेकर बंगाल-झारखंड तक या फिर समूचे देश में ही हत्यारी भीड़ के हाथों सड़कों पर 'त्वरित न्याय' होता है. तो क्या अब इस देश का संविधान, कानून, अदालत, पुलिस खुद यहां के लोग ही मानने को तैयार ही नहीं है? 


कश्मीर में भीड़ का अराजक होना बेहद चिंताजनक है क्योंकि हम कश्मीर खोना नहीं चाहते. और वहां हम हर कीमत पर भारत के संविधान, कानून, अदालत, पुलिस का राज ही देखना चाहते हैं.


लेकिन दिल्ली के नजदीक ही भीड़ का अराजक होना तो उससे भी ज्यादा चिंताजनक है.क्योंकि जब हम दिल्ली और उसके आसपास ही कानून का राज कायम नहीं रख पाएंगे तो कश्मीर तो दिल्ली से वैसे भी बहुत दूर है.

पत्रकार अश्वनी कुमार की वाल से 

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