ऑटो चलाकर गुजर-बसर करते हैं जसप्रीत बुमराह के दादा, जानिए- क्या है आखिरी इच्छा

84 वर्षीय संतोख सिंह बुमराह उत्‍तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के किच्‍छा में आवास विकास कॉलोनी में एक किराए के मकान में रहते हैं. वे टैंपो चलाकर जीवनयापन कर रहे हैं...

Update: 2017-07-02 11:36 GMT
भारतीय किक्रेट टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत सिंह बुमराह के दादा संतोख सिंह बुमराह इन दिनों तंगहाली में जी रहे हैं. 84 वर्षीय संतोख सिंह उत्‍तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के किच्‍छा में आवास विकास कॉलोनी में एक किराए के मकान में रहते हैं. वे टैंपो चलाकर जीवनयापन कर रहे हैं.

मूल रूप से अहमदाबाद के रहने वाले संतोख सिंह तीन कारखानों के मालिक थे. वहां उनके फैब्रीकेशन के तीन कारखाने हुआ करते थे. वे अपने बेटे और जसप्रीत बुमराह के पिता जसवीर सिंह बुमराह के साथ मिलकर अपने तीनों कारखानों का पूरा काम देखते थे. 2001 मे पीलिया की वजह से जसवीर सिंह का निधन हो गया. जसवीर सिंह की मौत ने संतोख सिंह को तोड़ दिया.

इस घटना के बाद उनकी फैक्ट्रियां भी आर्थिक संकट से घिर गई जिस कारण बैंको का कर्ज देने के लिए उन्हे अपनी तीनों फैक्ट्रियों को बेचना पड़ा. 2006 में जसप्रीत के दादा ऊधम सिंह नगर के किच्छा आ गए. यहां उन्‍होंने चार टेम्पो खरीद लिए और इन्‍हें किच्छा से रुद्रपुर के बीच चलाने लगे.

कुछ समय तक काम अच्छा चलने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति एक बार फिर खराब हो गई. इस कारण उन्हें चार टेम्पो में से तीन बेचने पड़े. जसप्रीत के चाचा विकलांग है और जसप्रीत की दादी का 2010 मे निधन हो गया था. काफी समय तक अहमदाबाद में रहने वाली जसप्रीत की बुआ ने ही अपने पिता व भाई का खर्चा उठाया.

उम्र के इस आखिरी पड़ाव पर संतोख सिंह का कहना है कि उनकी यह दुआ है कि उनका पोता क्रिकेट के खेल में खुब तरक्की करते हुए अपने देश का नाम खुब रोशन करे. उनकी एक ही तमन्ना है कि वो अपने पोते को गले से लगा सके.

बताया जाता है कि पिता की मौत के बाद जसप्रीत बुमराह और उनकी मां परिवारिक कारणों से अपने दादा से अलग हो गए थे. इसके बाद वे फिर कभी एक दूसरे से नहीं मिले. हालांकि, क्रिकेटर जसप्रीत के दादा की आर्थिक संकट की जानकारी मिलने के बाद किच्छा के एसडीएम ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर पूरी जानकारी ली. उन्‍होंने आर्थिक मदद दिलाने का भरोसा भी दिया है.
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