उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में शुक्रवार को जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 7 हो गई है. इस मामले में पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, अभी तक इस मामले में 2 पुलिस अधिकारी और 2 आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है.
बता दें जहरीली शराब के बेचे जाने वाली जगह की दूरी मुख्य कोतवाली से लेकर पुलिस मुख्यालय तक नाममात्र की है. इसके बावजूद पुलिस को इसकी थोड़ी भी भनक नहीं लगी और शराब का धंधा काफी समय से फल-फूल रहा था.
पुलिस की लापरवाही
स्थानीय लोगों के मुताबिक कई बार शराब की बिक्री की शिकायत पुलिस से की गई, लेकिन उन पर कार्रवाई करने के बजाए पुलिस उनसे पैसे लेकर उन्हें छोड़ देती है और मामले से किनारा कर लेती है. शराब माफिया से जुड़े लोग कुछ दिन बाद फिर से काम शुरू कर देते हैं.
जनता ही नहीं स्थानीय विधायक गणेश जोशी का बयान उनकी सरकार के साथ-साथ पुलिस पर भी सवाल खड़ा करता है. गणेश जोशी का कहना है कि पहले भी इसकी शिकायत पर सीओ रेंज के अधिकारी को जांच में लगाया गया था. लेकिन शराब माफियाओं के संबंध इतने मजबूत हैं कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही उनको सूचना प्राप्त हो जाती थी और वहां से हट जाते थे. इससे साफ हो जाता है कि पुलिस से माफियाओं के संबंध किस प्रकार मजबूत थे.
करीब 1 साल पहले हरिद्वार के रुड़की और इससे सटे उत्तर प्रदेश में भी जहरीली शराब के सेवन से 160 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि, मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए हैं. उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अशोक कुमार के मुताबिक, इस मामले की जांच आबकारी विभाग के साथ-साथ पुलिस थाना कोतवाली कर रही है.