बीमार पिता चीख रहा था भूंखा, लेकिन तीनों बेटे लगा चुके थे एक दिन पहले फांसी, घिसटकर जब पहुंचा कमरे में तो चीख निकल गई!
बीमार पिता बुलाता रहा, तीनों बेटों ने लगा ली फांसी, सुसाइड नोट में फाइनेंसरों पर लगाया एक करोड़ ठगने का आरोप
पंजाब के लुधियाना शहर के ईशर नगर में तीन भाइयों ने कथित रूप से खुद फांसी लगाकर जान दे दी।आत्महत्या करने से पहले उन्होंने एक सुसाइड नोट में दो लोगों पर प्रापर्टी डील में एक करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया। बिस्तर पर पड़े उनके बीमार पिता को जब दो दिन से कोई खाना देने नहीं आया, तब रविवार को वह खुद घिसटते हुए उनके कमरे में गए और उन्हें फांसी पर लटका देखा। पुलिस ने आशंका जताई कि तीनों भाइयों ने दो दिन पहले फांसी लगाई होगी, क्योंकि उनके शव काफी सड़ चुके थे।
दो दिन से पिता पुकारते रहे, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला
मृत भाइयों का नाम मलकीत सिंह (40), कुलदीप सिंह (38) और सन्नी (36) है। तीनों अविवाहित थे और बिस्तर पर पड़े अपने बीमार पिता हरजिंदर सिंह (85) के साथ रहते थे। हरजिंदर ने पुलिस को बताया कि उसके बेटे खाना बनाकर उसको खिलाते हैं और घरेलू कामकाज करते हैं। लेकिन दो दिनों से उसके पास वे नहीं आए। वह लगातार बुलाता रहा, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। रविवार को वह खुद बिस्तर से किसी तरह उतर कर घिसटता हुआ उनके कमरे में गया, जहां उसे उनके शव मिले।<
फाइनेंसरों पर ठगने का आरोप
पुलिस ने बताया कि हरजिंदर की तबियत खराब है और उसे नहीं पता है कि उन लोगों ने ऐसा कदम क्यों उठाया। उनके पिता को उनके सड़ चुके शव की दुर्गंध भी नहीं महसूस हुआ। तीनों भाइयों में दो के शव लॉबी में ग्रिल्स से लटका मिले, जबकि तीसरे का शव एक कमरे में पंखे से लटका मिला। पुलिस ने बताया कि आठ पेज के सुसाइड नोट में भाइयों ने दो फाइनेंसरों पर एक करोड़ रुपए ठगने का आरोप लगाया है। इसमें बताया गया है कि भाइयों ने फाइनेंसरों को 1.25 करोड़ में प्रापर्टी बेची थी, लेकिन उन्होंने सिर्फ 12 लाख रुपए दिए।
चचेरे भाई की शिकायत पर दो के खिलाफ केस दर्ज
मृत भाइयों के चचेरे भाई रेशम सिंह की शिकायत पर कुलवंत सिंह और कुलदीप सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) के तहत देहलोन थाने में मामला दर्ज किया गया है। देहलोन थाने के एसएचओ सब इंस्पेक्टर मंजीत कौर ने कहा, "मृत भाइयों के वृद्ध पिता इतने बीमार हैं कि वह यह नहीं बता पा रहे हैं कि उन्होंने अपने बेटों को अंतिम बार कब देखा था।