लोकसभा चुनाव से पहले BJP के खेमे में बगावत तेज, सुनील को अध्यक्ष बनाने पर उठा बवाल
2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने इस राज्य में पूर्व कांग्रेसी को स्टेट चीफ बना कर बड़ा दांव खेला था। लेकिन अब पार्टी के भीतर इस फैसले को लेकर बगावत शुरु हो गई है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अपने-अपने खेमे को मजबूत करने में लगी है। हर राज्य में संगठन को नए सिरे से खड़ा किया जा रहा है। पार्टी के वैसे नेता जो नाराज हैं, उन्हें मनाने की कोशिश हो रही है। इन सब बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने पंजाब में अपनी जमीन मजबूत करने के इरादे से एक बड़ा दांव खेला था। कांग्रेस पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए नेता सुनील जाखड़ को पंजाब का स्टेट प्रेसिडेंट नियुक्त किया था। कुछ ही समय बीतने के साथ भाजपा का यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। पार्टी में सुनील जाखड़ के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। इस बात के कयास इसलिए लगाये जा रहे हैं क्योंकि एक दिन पहले शुक्रवार को आठ बीजेपी नेताओं के पार्टी का साथ छोड़ कांग्रेस का दामन थामा।
भेदभाव के आरोप के चलते अलग हुए नेता
लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का बीजेपी छोड़ना काफी बड़ा झटका माना जा रहा है। जिन नेताओं ने कांग्रेस का दामन थामा उनके नाम, बलबीर सिद्धू, गुरप्रीत कांगड़, राज कुमार वेरका, मोहिंदर रिणवा, हंस राज जोशन, जीत मोहिंदर सिद्धू , कमलजीत ढिल्लों, अमरीक सिंह ढिल्लों हैं। पार्टी छोड़ने वाले सभी नेताओं ने भेदभाव और जात-पात का आरोप लगाया है।
कैप्टन अमरिंदर की सोनिया गांधी से मुलाकात
आठ नेताओं ने तो बीजेपी का साथ छोड़ा ही इसके अलावा एक मुलाकात की चर्चा भी खूब हो रही है।दरअसल पिछले महीने पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की पूर्व चीफ सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इसके बाद कयास लगने लगने शुरू हो गए थे कि कैप्टन की कांग्रेस में घर वापसी होने वाली है लेकिन इन सभी राअटकलों पर विराम लगाते हुए कैप्टन ने कहा था कि उन्होंने हमेशा के लिए मन बना लिया है वो बीजेपी में ही रहने वाले हैं। किसी भी सूरत में बीजेपी का साथ नहीं छोड़ेंगे।
आसान नहीं बीजेपी और जाखड़ की राह
जिस तरह से पंजाब में बीजेपी के भीतर से ही बगावती सुर उठने शुरु हुए हैं ऐसे में कांग्रेस से आकर भाजपा की कमान संभालने वाले जाखड़ के लिए पहले ही बहुत चुनौती थी और अब आठ नेताओं के पार्टी छोड़ने से ये और बढ़ गई है। अगर जल्द ही पार्टी आलाकमान और स्टेट के नेता इस डैमेज को कंट्रोल नहीं करते हैं निश्चित ही दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।