आखिर कौन लेगा किशनगढ़ एयरपोर्ट की सुध, एयरपोर्ट से सुलभ नहीं एक भी उड़ान, हो रही एयरपोर्ट विस्तार की कवायद!
After all, who will take care of Kishangarh Airport, not a single flight is accessible from the airport, the exercise of airport expansion is happening
कई वर्षो की इंतजार और काफी जिद्दो जिहाद के बाद किशनगढ़ में एयरपोर्ट स्थापित हुआ। मार्बल एसोसिएशन और कई सामाजिक संस्थाओं के साथ राजनीतिक प्रयासों के बाद किशनगढ़ के औद्योगिक महत्व, अजमेर में दरगाह शरीफ और पुष्कर राज तीर्थ पर देश_ विदेश से श्रद्धालुओं के आवागमन के मद्देनजर अजमेर और किशनगढ़ में मध्य हाईवे के पास किशनगढ़ एयरपोर्ट अस्तित्व में आ गया। एयरपोर्ट स्थापित हो जाने के साथ ही अजमेर_दिल्ली के मध्य उड़ान शुरू हो गई। जिसके बाद शने शने उड़ानों में विस्तार होता गया।
इंडिगो और स्टार एयरलाइंस ने दिल्ली,इंदौर, अहमदाबाद, मुंबई, हैदराबाद आदि स्थानों के लिए सीधी उड़ाने शुरू की गई।साथ ही लगभग तीन वर्षो तक चलने के साथ ग्यारह स्थानों पर कनेक्टिविटी की भी सुविधा शुरू हुई। मगर इसके बाद ऐसा दौर आया की धीरे धीरे सभी उड़ाने बंद होने के कगार पर बढ़ती गई। आखिर में इंदौर की उड़ान भूत बंद हो जाने के बाद किशनगढ़ एयरपोर्ट बिना उड़ानों के नाम का एयरपोर्ट बन कर रह गया। जब की किशन गढ़ के बहुत समय बाद स्थापित हुए किशन गढ़ से समान सुविधा वाले दरभंगा एयरपोर्ट ने यात्री भार में सभी एयरपोर्ट को पीछे छोड़ दिया।
कहने की गर्ज यह की किशन गढ़ के अस्तित्व को कम होता देख किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई और नतीजा यह की आज किशनगढ़ एयरपोर्ट को एक बार फिर से उड़ान भरने का इंतजार है। इसी बीच कई नए एयरपोर्ट शुरू हो गए मगर किशनगढ़ एयरपोर्ट बंद होने के कगार से नहीं उभर पाया। अब ताज्जुब इस बात का है की बिना उड़ान के केवल नाम के रह गए किशनगढ़ एयरपोर्ट के विस्तार की कवायद शुरू हो गई है। बताया जाता है की किशनगढ हवाई पट्टी के विस्तार को लेकर नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों तथा अन्य विभागीय अधिकारियों की बैठक हुई है। जिस में बताया गया कि हवाई अड्डे पर हवाई पट्टी के विस्तार से बडे विमानों का संचालन भी सुगम होगा। इसमें नागरिक उड्डयन निदेशालय के मानदण्डों के अनुरूप हवाई पट्टी विस्तार का कार्य किया जाएगा।
हवाई पट्टी विस्तार में एक तरफ पहाडी आने से तथा दूसरी तरफ प्रसार भारती का टावर आने से परेशानी आ रही है। इसके लिए वन विभाग, खनिज विभाग तथा प्रसार भारती को इस सम्बन्ध में कानून एवं नियम की समन्वय कर रिपोर्ट तैयार करने का निर्णय हुआ। यहां यह सोचनीय प्रश्न है की जब सित्तर से पिचहत्तर यात्रियों के भार वाले छोटे हवाई जहाज की सुविधा ही बंद है तो बड़े हवाई जहाज की कल्पना कहां तक उचित है। कुल मिलाकर सक्षम और जिम्मेदार लोगों को किशनगढ़ एयरपोर्ट पर उड़ान सुविधाएं फिर से शुरू कराने के लिए चाहे विपक्ष हो या पक्ष सभी को एक साथ मिलकर अजमेर के हवाई सेवाओं से फिर से जोड़ने के लिए सार्थक प्रयास करने चाहिए। देखने वाली बात यह होगी की क्या विधान सभा और लोक सभा चुनाव से पहले जिले के लोग एक बार फिर से हवाई सेवाओं से जुड़ पाएंगे।