आज है नवरात्र का पांचवा दिन, मां स्कन्दमाता को ऐसे करें प्रसन्न

Update: 2017-09-25 02:36 GMT

मां दुर्गाजी के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। इनकी उपासना नवरात्र के पांचवें दिन की जाती है। भगवान स्कन्द कुमार कात्तिर्केय नाम से भी जाने जाते हैं। ये प्रसिद्ध देवासुर-संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे। इन्हीं भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां के इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है।

कमल के आसन पर विराजमान होने के कारण से इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। स्कन्दमाता की उपासना से बालरूप स्कन्द भगवान की उपासना स्वयमेव हो जाती है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। माता अपने दो हाथों में कमल पुष्प धारण किए हुए हैं और एक हाथ से कुमार कार्तिकेय को गोद लिए हुए हैं।

देवी स्कंदमाता का वाहन सिंह है। यह देवी दुर्गा का ममतामयी रूप है, जो भक्त मां के इस स्वरूप का ध्यान करता है उस पर मां ममता की वर्षा करती हैं और हर संकट और दुख से भक्त को मुक्त कर देती है। स्‍कंदमाता की पूजा से भक्‍तों को संतान की ईच्‍छा पूरी होती है।

ध्यान मन्त्र : 

"सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी" 

पूजाविधि :

नवरात्र के पांचवें दिन की पूजा में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं। यह दिन बुध ग्रह से संबंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम है। पूजा में कुमकुम, अक्षत से पूजा करें। चंदन लगाएं। तुलसी माता के सामने दीपक जलाएं। 

उपाय :

पंचमी तिथि यानी नवरात्रि के पांचवें दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं व गरीबों को केले का दान करें। इससे आपके परिवार में सुख-शांति रहेगी।

मंत्र:

या देवी सर्वभू‍तेषु स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।  

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मनोकामना : मां स्कंदमाता की पूजा  पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए। स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा जिनके संतान नहीं हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।

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