पं, वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ)
आज के समय में विवाह के तुरंत बाद ही नवविवाहित जोड़े संतान के लिए प्लानिंग करना शुरू कर देते हैं। साल भर में ही लोगों के घर में बच्चों की किलकारियां गूंजने लगती है।आज के वर्तमान समय में लोग सोच समझकर बच्चा पैदा करते हैं.
लेकिन घर वालों के दबाव के आगे उन्हें झुकना ही पड़ता है। लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें कोशिश करने के बाद भी संतान सुख की प्राप्ति नही होती । वह जीवन के इस सुख से वंचित ही रह जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आपके साथ यह किस कारण से हो रहा है।
अगर नहीं तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे। दरअसल कुंडली में ग्रहों की दशाएं देखकर यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि आपके जीवन में संतान सुख है कि नहीं। तो आइए जानते हैं किन योगों के आधार पर यह बताया जा सकता है कि आपको संतान सुख की प्राप्ति होगी की नहीं।
ग्रहों के अनुसार मिलता है संतान सुख
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंडली का पंचम भाव संतान भाव कहलाता है। जब संतान भाव बलवान होता है या फिर उस पर भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तब संतान योग की संभावनांए अधिक होती है। यदि महिला की कुंडली में शुक्र अच्छा होता है तो वह आसानी से कन्सीव कर जाती है। इसके बाद जन्मकुंडली में बृहस्पति का विचार किया जाता है। क्योंकि बृहस्पति के शुभ होने पर शिशु गर्भ में स्वस्थ रहता है और स्वस्थ ही जन्म लेता है।
कुंडली में अगर लग्नेश और पंचमेश की युति लग्न या फिर पचंम भाव में हो रही हो तो भी यह योग एक संतान उत्पत्ति के लिए एक अच्छा योग माना जाता है। यदि कुंडली में बृहस्पति लग्न, भाग्य भाव या फिर एकादश भाव में हो या फिर इसकी महादशा चल रही हो तो भी संतान के प्रबल योग बनते हैं।
इसके अलावा शुक्र यदि एकादश भाव में बैठकर पंचम भाव पर दृष्टि डाले या फिर वह स्वंय ही पंचम भाव में विराजित हो तो भी संतानोपत्ति की प्रबल संभावना होती है। यदि कोई भी व्यक्ति संतान की उत्पत्ति की परेशानी से परेशान है तो उसे चिकित्सक के साथ- साथ अपनी जन्मपत्री का भी किसी कुशल ज्योतिष आचार्य से अध्ययन कराना चाहिए।
किस दशा में होती है संतान उत्पत्ति में परेशानी
जन्मकुंडली में पंचम भाव में शुभ ग्रह विराजित हो या फिर इस पर पंचम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो संतान सुख आसानी से प्राप्त हो जाता है। लेकिन यदि इस भाव पर पाप ग्रह की दृष्टि पड़ रही है तो संतान के जन्म में होने में विलंब होता है।
यदि पंचम भाव पर राहु की दृष्टि पड़ रही है तो संतान उत्पत्ति में दंपत्ति को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इस योग से बच्चे को प्राणों को भी खतरा हो सकता है। संतान का भाव पंचम भाव कहलाता है।
इस पर जितने भी अशुभ ग्रहों की दृष्टि होगी। संतान की उत्पत्ति में उतनी ही अधिक परेशानी होगी। इसके अलावा इन कारणों की वजह से संतान मृत पैदा हो सकती है या पैदा होने के कुछ दिनों बाद ही मृत्यु को प्राप्त हो सकती है। इसलिए पंचम भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि अशुभ मानी जाती है।
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