पंच दिवसीय दीपावली पर्व को सभी लोग धूमधाम से मनाते हैं और इसकी तैयारियां भी काफी पहले से शुरू कर देते हैं. इस बार दीपावली 24 अक्टूबर को पड़ रही है. सामान्यतः धनतेरस पर लंबे समय तक चलने वाली ही कोई चीज खरीदी जाती है, इसलिए धनतेरस पर बर्तन, ज्वैलरी और वाहनों को खरीदने का चलन है. कई लोगों ने तो वाहन लेने का पैसा पहले ही जमा कर दिया है और धनतेरस यानी 23 अक्टूबर को डिलीवरी लेने का प्लान किया है. यदि आप इस बार वाहन खरीद रहे हैं तो अच्छा है, किंतु ध्यान रखें कि डिलीवरी लेते ही एक काम करना बहुत जरूरी है और बिना इस काम को किए वाहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. आप एक बात सोचिए कि यदि शुभ मुहूर्त में कोई वाहन लिया जाए और उस वाहन को ऐसा आशीर्वाद प्राप्त हो जाए कि वह जो भी यात्राएं करें और जिस प्रयोजन से वह घर से निकले, वह सार्थक हो तो इससे कितना फायदा होगा.
सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जो पुराना वाहन आपको इस स्थिति तक लेकर आया है कि आप नया खरीद पा रहे हैं तो उसके प्रति आपका आदर-सम्मान का भाव कम नहीं होना चाहिए. यदि आप उस पुराने वाहन को बेच रहे हैं तो बेचने से पहले एक बार जैसे इसको लेने के बाद मंदिर गए और पूजन किया था, उसी तरह से अब भी मंदिर जाएं और उसका पूजन करें और भाव पूर्ण तरीके से उसको विदा करते हुए नए वाहन को स्वीकार करें.
वाहन की पूजा परिवार की किसी वरिष्ठतम महिला से करानी चाहिए. वाहन के ऊपर सबसे पहले आम या फिर अशोक के पत्तों से जल छिड़कें. इसके बाद फिर वाहन में सिंदूर और घी से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए. स्वस्तिक का निशान शुभ होने के साथ ही काफी ऊर्जा देने वाला होता है.
यात्रा में किसी प्रकार का व्यवधान न आए इसलिए स्वस्तिक बनाया जाता है. वाहन को फूल एवं माला अर्पित करते हुए उसका स्वागत करना चाहिए. कलावा रक्षा-सूत्र होता है, इसलिए वाहन को कलावा बांधना चाहिए, अब कपूर से आरती करें और वाहन पर मिठाई रखें. बाद में यह मिठाई गौ माता को खाने को दें. एक नारियल लेकर नए वाहन पर से सात बार घुमाकर वाहन के आगे फोड़ें. वाहन स्टार्ट कर उसे नारियल वाले स्थान पर से होते हुए एक चक्क र लगाएं.