हिंदू धर्म में केवल देवी-देवताओं को ही नहीं, बल्कि पशुओं को भी दैविक दर्जा दिया गया है। इन पशुओं में गाय भी शामिल है, जिसे पूजनीय और माता लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। गायों में भी विशेष प्रकार से कामधेनु गाय को पूजा जाता है, जिन्हें सभी गायों की माता का दर्जा प्राप्त है। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है और साथ ही वे दैविक और चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण भी मानी जाती हैं। कहते हैं कि कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। इस गाय को सुरभि भी कहा जाता है। आइए जानें कामधेनु गाय से जुड़ी कुछ बातें...
कौन थीं कामधेनु गाय?
पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामधेनु गाय के बारें में कहा गया है कि जब देवताओं ने समुद्र मंथन किया था, तब उस समुद्र में से अनेकों मूल्यवान वस्तुएं प्रकट हुईं थीं। जिनमें पवित्र अमृत कलश और माता लक्ष्मी भी शामिल हैं। क्षीर सागर से प्राप्त हुईं 14 मूल्यवान चीजों में एक कामधेनु गाय भी थीं। कहा जाता है कि इस गाय में समस्त देवी-देवताओं का वास था।
कामधेनु गाय की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सबसे पहले कामधेनु गाय ऋषि वशिष्ठ के पास थीं। कामधेनु गाय को पाने के लिए सभी ने ऋषि वशिष्ठ के साथ युद्ध किया। लेकिन, सभी को हार का सामना करना पड़ा था।
एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान परशुराम के पिता, ऋषि जमदग्नि के पास भी कामधेनु गाय थीं। राजा सहस्रार्जुन, गाय को लेने उनके आश्रम पहुंचे और वहां आक्रमण कर दिया। इससे दुखी होकर, कामधेनु गाय स्वर्ग में वापस चली गईं।
कामधेनु गाय की पूजा
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, अगर आपके घर में दैवीय गाय की मूर्ती या तस्वीर है, तो प्रतिदिन गाय माता की पूजा करें और पवित्र गंगाजल का उन पर छिड़काव करें। फिर अक्षत और फूल लेकर उनकी पूजा-अर्चना कर, उन्हें भोग लगाएं। कहते हैं कि अगर पूजा के समय कामधेनु गाय के इस मंत्र का जाप किया जाए तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
कामधेनु गाय मंत्र
ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि.मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि
माना गया है कि सच्चे मन से कामधेनु माता की स्तुति कर, भक्त, अपनी किसी भी मनोकामना को पूरा कर सकते हैं।