जानिए निर्जला एकादशी और उसका महत्व

24 घंटे तक अन्न और जल के बिना रहकर अगले दिन स्नान करने के बाद विष्णुक जी की पूजा करें। फिर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।

Update: 2020-06-02 02:09 GMT

पखवाड़े के ग्यारहवें दिन को एकादशी कहते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, मगर निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है और इसे पवित्र एकादशी माना जाता है।

ज्येमष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीम एकादशी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि निर्जला एकादशी का व्रत अत्यंत लाभकारी है। जो लोग सभी एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं उन्हें निर्जला एकादशी का व्रत रखना चाहिए। कहते हैं कि साल भर की 24 एकादशियों के व्रत का फल केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से मिल जाता है।

इस एकादशी का व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। यह व्रत बेहद कठिन है क्योंकि इसे रखने के नियम काफी कड़े हैं। जो इस व्रत को रखता है उसे न सिर्फ भोजन का त्याग करना पड़ता है बल्कि पानी ग्रहण करने की भी मनाही होती है। वैसे साल में 24 एकादशियाँ होती हैं लेकिन जब मलमास या अधिक मास आता है तो यह बढ़ कर 26 हो जाती हैं।

निर्जला एकादशी की पूजा विधि

निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी में जाकर स्नान न भी कर पाएं तो सुबह-सवेरे घर पर ही स्नान करने के बाद 'ऊँ नमो वासुदेवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। 24 घंटे तक अन्न और जल के बिना रहकर अगले दिन स्नान करने के बाद विष्णुक जी की पूजा करें। फिर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।

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