जानिए घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Update: 2022-09-25 12:28 GMT

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"गूंजेगा हर जगह माता का जयकारा, आ रही हैं मैया हरने भक्तों का दुःख सारा!" सदियों से हम नवरात्रि का त्यौहार मनाते आ रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीकों से इस त्यौहार को मनाया जाता है। माँ दुर्गा के प्रति अपना भक्तिभाव दर्शाने में, भक्त कोई कसर नहीं छोड़ते। कुछ लोग पूरी रात गरबा और आरती करते हैं तो वहीं कुछ लोग नवरात्रि के व्रत और उपवास रख, मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा करते हैं।

हिंदू धर्म में नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत, 26 सितंबर 2022 से हो रही है और 5 अक्टूबर 2022 को इसका समापन होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरु होती हैं और नवमी तक चलती हैं। दशमी तिथि, यानी कि दशहरा को पारण करने के बाद नवरात्रि व्रत पूरा होता है। 


आम तौर पर नवरात्रि की सामान्य अवधि 9 दिनों की होती है। लेकिन कभी-कभी तिथि बढ़ने पर नवरात्रि 10 दिनों की हो जाती हैं और तिथि घटने पर ये 8 या 7 दिन की ही रह जाती हैं। जानें, इस साल कितने दिन की होंगी शारदीय नवरात्रि ?

शारदीय नवरात्रि नौ दिनों की-

इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू होकर 5 अक्टूबर, यानी कि नौ दिनों तक रहेंगी। 5 अक्टूबर को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में नौ दिनों की नवरात्रि को बेहद शुभ माना गया है। इस बार माता रानी हाथी पर सवार होकर आएंगी।


कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसे घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर 2022, सोमवार को सुबह 06 बजकर 11 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना की अवधि 1 घंटा 40 मिनट तक रहेगी। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। कलश स्थापना प्रतिपदा, नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा के साथ की जाती है।

ऐसे करें कलश स्थापना:

कलश की स्थापना मंदिर की उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगाकर, कलश को स्थापित करना चाहिए। सबसे पहले, कलश स्थापना वाली जगह को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें। कलश में आम का पत्ता रखें और उसे जल या गंगाजल से भर दें। साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा और हल्दी की एक गांठ कलश में डालें। कलश के मुख पर एक नारियल को लाल वस्त्र से लपेट कर रखें।

चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर माँ दुर्गा की प्रतिमा रखें। माँ को लाल या ग़ुलाबी चुनरी ओढ़ा दें। कलश स्थापना के साथ, अखंड दीपक की स्थापना भी की जाती है। कलश स्थापना के बाद, माँ शैलपुत्री की पूजा करें। हाथ में लाल फूल और चावल लेकर, माँ शैलपुत्री का ध्यान करते हुए, मंत्र जाप करें। साथ ही फूल और चावल, माँ के चरणों में अर्पित करें। माँ शैलपुत्री के लिए जो भोग बनाएं, वह गाय के घी से बना होना चाहिए या सिर्फ़ गाय का घी चढ़ाने से भी आपको माँ का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

नवरात्रि एक बहुत ही पवित्र पर्व है, जिसे भक्त बहुत ही श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। और सच्चे मन एवं विधि-विधान के साथ नवरात्रि के व्रत एवं माता की पूजा-अर्चना करने से माता भक्तों की खाली झोलियाँ, अवश्य भरती हैं।

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