जानिए कब है श्राद्ध पक्ष की अमावस्या और क्या होता है पितृ अमावस्या का महत्व
श्राद्ध पक्ष में हर तिथि का अपना विशेष महत्व होता है। नियम के अनुसार, जिस तिथि पर पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि पर उसका श्राद्ध करना चाहिए। लेकिन किसी कारणवश ऐसा न कर पाएं तो श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन यानी अमावस्या तिथि पर उसके निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या कहा गया है, जिसका अर्थ है इस तिथि पर श्राद्ध करने से सभी पितरों को मोक्ष मिलता है। कब है सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या? पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या तिथि 24 सितंबर, शनिवार रात लगभग 03:12 से शुरू होकर 25 सितंबर, रविवार की रात लगभग 03:24 तक रहेगी।
यानी 25 सितंबर को पूरे दिन अमावस्या तिथि रहेगी। इसी दिन सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। मान्यता के अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों की आत्मा को मोक्ष मिल जाता है। कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन? पंचांग के अनुसार, 25 सितंबर, रविवार को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र होने से मित्र नाम का शुभ योग पूरे दिन रहेगा।
इसके अलावा शुभ और शुक्ल नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। इन 3 शुभ योगों के चलते ये तिथि और भी खास हो गई है। अमावस्या तिथि पर सूर्य और चंद्र एक साथ एक ही राशि में रहते हैं। इस अमावस्या पर ये दोनों ग्रह कन्या राशि में रहेंगे। इसी वजह से इस तिथि को सूर्य-चंद्र संगम भी कहते हैं। इसलिए खास है ये तिथि वैसे तो साल में 12 अमावस्या आती है,
लेकिन सर्वपितृ अमावस्या सिर्फ एक ही होती है। इसलिए इसका महत्व काफी अधिक है। इस तिथि पर पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान जरूर करना चाहिए, इससे वे पूरी तरह से तृप्त हो जाते हैं। ये श्राद्ध पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस तिथि पर पितृ पुन: अपने लोक में चले जाते हैं और इसके पहले अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।