सभी कष्टों को दूर करती है माता बुढ़िया माई, श्रद्धालुओं की लगी रहती है कतार

गोरखपुर जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में स्थित यह स्थान काफी ऐतिहासिक और सिद्ध है।

Update: 2023-10-18 11:15 GMT

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर जंगल में स्थित है माता बुढ़िया माई का दिव्य स्थान। कुसुम्ही जंगल में स्थित यह मंदिर पूर्वी उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है। बुढ़िया माई की महिमा ऐसी अपरम्पार है कि देश ही नहीं यहां विदेशों से भी श्रद्धालु खिंचे चले आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता यह है कि, यहां सच्चे मन से दर्शन व पूजन करने वाले भक्त कभी भी असमय काल के गाल में नहीं जाते हैं। माता बुढ़िया अपने भक्तों की सदा ही रक्षा करती हैं।

जानिए इतिहास

इसका इतिहास करीब 600 वर्ष पुराना है। पहली मान्यता के अनुसार, जंगल के बीच से गुजरने वाले तुर्रा नाले पर बने काठ के पुल से एक बारात जा रही थी, जिसपर नर्तकी सवार थी। पुल पार करने से पहले बुढ़िया माई ने नर्तकी से नृत्य करने को कहा। जिसपर बरातियों ने देर होने की बात कहते हुई उनका उपहास उड़ाकर वहां से आगे बढ़ गए। वहीं बरात में शामिल एक जोकर ने नृत्य कर उन्हें दिखा दिया। इसलिए बुढ़िया माई ने उसे आगाह कर दिया कि पुल पर बरातियों के साथ मत चढ़ना। उसके बाद जैसे ही बरातियों से भरी वाहन पुल पर चढ़ी, वह टूट गया। दूल्हा सहित सभी लोग नाले में गिरकर मर गए। वहीं जिस जोकर ने नृत्य करके दिखाया था उसकी जान बच गई। इसके बाद बूढ़ी महिला अदृश्य हो गईं। काल की गाल में जाने से बचे जोकर ने यह बात गांव वालों को बताया। तभी से नाले के दोनों तरफ का स्थान बुढ़िया माई के नाम से जाना जाता है। बुढ़िया माई का मंदिर नाले के दोनों तरफ बना है। इन दोनों मंदिरों के बीच के नाले को नाव से पार किया जाता है।

दूसरी मान्यता के अनुसार, विजहरा गांव के निवासी जोखू सोखा की मौत के बाद परिजनों ने उन्हें तुर्रा नाले में प्रवाहित कर दिया। शव थारुओं की तीन पिंडी तक पहुंचा। बुढ़िया माई अवतरित हुईं और उन्होंने जोखू को जिंदा कर दिया। जोखू ने उसके बाद वहीं पूजा शुरू कर दी और माई को जिस रूप में देखा था। उसी रूप में मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवा दिया।

नवरात्रि में लोगों की लगती है भारी भीड़

नवरात्रि पर्व और अन्य पर्वों पर माता के इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा होती है।जंगल के बीच होने के बावजूद बुढ़िया माई मंदिर में नवरात्र के दौरान मेले जैसा माहौल रहता है। लोगों की ऐसी मान्यता है कि माता से जो मुराद मांगो, माता उसे पूरी करती है 

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