आज ही के दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नाम के दैत्य को मारा था, जानिए पूरी कहानी
पदमपुराण की कथा के अनुसार सतयुग में दैत्य हिरण्याक्ष के आतंक से समस्त देवता, धरतीवासी हाहाकार कर उठे।
भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है। माना जाता है इस दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नाम के दैत्य को मारा था। मत्स्य और कश्यप के बाद भगवान विष्णु का तीसरा अवतार है वराह। वराह यानी शूकर. इस साल वराह जयंती 17 सितंबर, रविवार के दिन मनाई जा रही है. इस मौके पर सुख-समृद्धि की कामना से भगवान विष्णु की विशेष पूजा के साथ व्रत और उपवास किए जाते हैं। साथ ही विष्णु मंदिरों में भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं।
पदमपुराण की कथा के अनुसार सतयुग में दैत्य हिरण्याक्ष के आतंक से समस्त देवता, धरतीवासी हाहाकार कर उठे। उसने कठोर तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न कर असीम शक्तियां भी अर्जित कर लीं थीं। हिरण्याक्ष शक्तियों के दम पर चारों ओर आतंक फैलाने लगा,उसका शरीर कितना भी बड़ा हो सकता था। दैत्य ने स्वर्गाधिपति देवराज इंद्र के लोक को भी जीत लिया और जल देवता वरुण देव को भी युद्ध के लिए ललकारा। उस महाबली दैत्य ने पृथ्वी को अपनी हज़ारों भुजाओं से पर्वत,समुद्र,द्वीप और सम्पूर्ण प्राणियों सहित उखाड़ लिया व सिर पर रखकर रसातल में ले जाकर छुपा दिया।
जब पृथ्वी जलम्न हो गई तो उसे वहां से निकालने और हिरण्याक्ष दैत्य के पापों से सभी को मुक्ति दिलाने के लिए ब्रह्मा जी के नाक से भगवान विष्णु का वराह अवतार हुआ। मान्यता है कि ब्रह्मा जी की नाशिका से आठ अंगुल आकार वाले वराह अवतार ने पलक झपकते ही पर्वताकार रूप धारण कर लिया, जिसे देखकर सभी देवी - देवताओं और ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। इसके बाद भगवान वराह ने अपने थूंंथने की सहायता से पृथ्वी को जल से बाहर निकालने लगे, तब हिरण्याक्ष दैत्य ने भगवान वराह काे युद्ध के लिए ललकारा। दोनों के मध्य भीषण युद्ध हुआ। युद्ध के उपरांत भगवान ने अधम दैत्य का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने पहले की ही भांति अपने खुरों से जल को स्तम्भित प्रथ्वी को रसातल से बाहर लाकर पुनः स्थापित कर तीनों लोकों को भयमुक्त कर दिया।
दैत्य के वध करने के पश्चात् भगवान शूकर क्षेत्र में आदि गंगा में अपने शरीर का त्याग कर साकेत लोक को चले गये.ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र व स्कन्ध पुराण सहित विभिन्न धर्मशास्त्रों में कई पूजा विधियों और उपायों का जिक्र है. इनमें भगवान विष्णु के अवतार भगवान वराह की उपासना को भूमि व भवन प्राप्ति का अचूक उपाय बताया गया है.
डॉ0 गौरव कुमार दीक्षित ज्योतिषाचार्य/न्यूमेरोलोजिस्ट अध्यक्ष शूकर क्षेत्र फाउंडेशन सोरों - कासगंज मोबाईल - 8881827888