हिंदू धर्म में सावन महीना धार्मिक रूप से शिव पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. यह मास महादेव की पूजा के लिए अति उत्तम माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साथ ही भोलेनाथ की विशेष कृपा पाने के लिए भक्तगण सावन के सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं.
सावन के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. घर के पास स्थित किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें. यदि संभव न हो तो घर में ही पूजा स्थल पर भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन कर सकते हैं. अब भगवान शिव और माता पार्वती के साथ सभी देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करें.
शिवलिंग पर दूध में गंगाजल मिलाकर चढ़ाएं. अब भगवान को पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, भांग और गन्ना आदि चीजें अर्पित करें.
भगवान शिव को चंदन लगाएं. ध्यान रहे भगवान शिव को लाल चंदन या रोली, सिंदूर भूलकर भी न चढ़ाएं. भगवान शिव को मिष्ठान व फल का भोग लगाएं. इसके बाद भगवान शिव की आरती करें तथा भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करते हुए एवं उनके मंत्रों का जाप करें और आरती के बाद प्रणाम करते हुए पूजा समाप्त करें.
सावन मास धार्मिक रूप से अत्यंत पवित्र माह है. धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में मांस-मंदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. अन्यथा भगवान शिव नाराज हो सकते हैं.
किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचें. इस माह में घर परिवार में स्नेह से परिपूर्ण वातावरण रखें.
सावन के महीने में लहसुन, प्याज जैसी तामसिक प्रवृत्ति वाले भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
सावन मास में मसूर की दाल, मूली, बैंगन आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस महीने में बासी भोजन और जले हुए खाने का उपयोग वर्जित माना गया है.
शास्त्रों के अनुसार, सावन के सोमवार का व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. शास्त्रों की मानें तो ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो सकते हैं.