जानिए पितृ पक्ष के आखिरी दिन कैसे करते हैं श्राद्ध और शुभ मुहूर्त

सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या भूल चुके होते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को स्वथा रूप में मिलता है।

Update: 2021-10-05 08:59 GMT

पितरों को देवताओं के समान माना गया है। पितरों के खुश होने पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म सबसे आसान उपाय है। पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना करने को ही श्राद्ध कर्म कहते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितरों के प्रसन्न होने से घर में सुख शांति आती है।

ऐसे मे पितृ पक्ष 06 अक्टूबर, बुधवार को समाप्त हो जाएंगे। पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं। यह पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है

जानिए इस तिथि का महत्व और श्राद्ध विधि-

अमावस्या तिथि 5 अक्टूबर 2021 मंगलवार को शाम 07 बजकर 04 मिनट से आरंभ होगी, जो कि 6 अक्टूबर 2021 का दोपहर 04 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।

अमावस्या श्राद्ध का महत्व-

सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिनके परिजनों को पितरों की देहांत तिथि ज्ञात नहीं होती है या भूल चुके होते हैं। कहते हैं कि इस दिन श्राद्ध करने से भोजन पितरों को स्वथा रूप में मिलता है।

कहते हैं कि पितरों को अर्पित किया गया भोजन उस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिस रूप में उनका जन्म हुआ होता है। अगर मनुष्य योनि में हो तो अन्न रूप में उन्हें भोजन मिलता है, पशु योनि में घास के रूप में, नाग योनि में वायु रूप में और यक्ष योनि में पान के रूप में भोजन पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि श्राद्ध कर्म करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है।

अमावस्या के दिन ऐसे करें श्राद्ध-

शास्त्रों के अनुसार, पितरों के लिए बनाए गए भोजन से पहले पंचबली भोग लगाया जाता है। इसमें भोजन से पहले पांच ग्रास, गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवों के लिए अन्न निकाला जाता है।इसके साथ ही ब्राह्मण को भोजन कराया जाता है।

कहते हैं कि पितरों के भोजन साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर ही बनाएं। पितृ पक्ष के आखिरी दिन पिंडदान और तर्पण की क्रिया की जाती है। शाम को दो, पांच या सोलह दीपक जलाने की भी मान्यता है। कहते हैं कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।

Tags:    

Similar News