जानिये थावे मंदिर गोपालगंज की कहानी !

Update: 2017-11-09 08:12 GMT

जय प्रकाश ठाकुर 

वहा माना जाता है की बहुतसाल पहले एक राजा राज्य करता था, जिसका नाम मनन सिंह था बिहार के गोपालगंज में थावे वाली माता के मंदिर को कौन नहीं जानता। इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में मां अपने भक्त रहषु के लिए असम के कामाख्या से थावे आईं और साक्षात दर्शन दिए। ये सिद्धपीठ माना जाता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।


कहां स्थित है मंदिर: यह मंदिर गोपालगंज से करीब छह किलोमीटर दूर गोपाल गंज से सिवान जाने वाले रास्ते पर थावे नाम की जगह पर बना है। ये मंदिर तीन तरफ से जंगलों से घिरा है और इस मंदिर का गर्भकाल काफी पुराना है।



 क्या है मान्यता: इस मंदिर की मान्यता है कि हथुआ के राजा मनन सिंह खुद को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। उन्हें गर्व था कि उनसे बड़ा कोई मां का भक्त नहीं है। तभी अचानक उस राजा के राज्य में अकाल पड़ गया। उसी दोरान थावे में माता रानी का एक भक्त रहषु था। कहानी की मानें तो रहषु के घास काटने पर अन्न निकलने लगा। यही वजह थी कि वहां के लोगों को खाने के लिए अनाज मिलने लगा। यह बात राजा तक पहुंची। लेकिन राजा को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। राजा रहषु के विरोध में हो गया और उसे ढोंगी कहने लगा और उसने रहषु से कहा कि मां को यहां बुलाओ। इस पर रहषु ने राजा से कहा कि अगर मां यहां आईं तो राज्य को बर्बाद कर देंगी। लेकिन राजा नहीं माने। बस फिर क्या था कि रहषु के बुलाने पर मां आईं और कोलकता, पटना और आमी होते हुए राजा के सभी भवन गिर गए। इसके बाद राजा मर गया। 


नवरात्रि के नौ दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है साल में दो बार चैत और शारदीय नवरात्रों में यहां खास मेला भी लगाया जाता है। इसके अलावा इस मंदिर में सोमवार और शुक्रवार को यहां विशेष पूजा होती है। यही नहीं सावन के महीने में भी इस देवी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर को लोग थावे वाली माता का मंदिर, सिंहासिनी भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी जानते हैं।

क्या चढ़ाया जाता है प्रसाद: इस मंदिर में भक्त माता को लड़ू, पेड़ा, नारियल और चुनरी चढ़ाते हैं।

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