शनिश्चरी अमावस्या पर साढ़े-साती से बचने के लिए करें ये उपाय
शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
हिंदू धर्म में शनिश्चरी अमावस्या की विशेष महिमा है. शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. इस दिन पितरों की भी पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा करने और कुछ विशेष उपाय करने से कुण्डली में शनि दोष और शनि की साढ़े-साती या ढैय्या की चाल से बचा जा सकता है.
जिन जातकों की कुण्डली में शनि की साढ़े-साती या ढैय्या होती हैं उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है और काम में भी कई बाधाएं आती हैं.
आइए जानते कुछ कि शनिश्चरी अमावस्या पर किन कामों को करने से शनि की साढ़े-साती या या ढैय्या की चाल से छुटकारा मिल सकता है...
शनि अमावस्या के दिन शाम के समय 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का मन ही मन जाप करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से शनि दोष दूर होता है.
ऐसा माना जाता है कि अगर आपकी कुंडली में शनि दोष की वजह से बाधा आ रही है तो आप घर में शमी का पेड़ लगाइए और उसके पास सरसों के तेल का दिपक जलाएं और शनि देव के मंत्र - ऊँ शं यो देवि रमिष्ट्य आपो भवन्तु पीतये, शं योरभि स्तवन्तु नः' का जाप करें।
यदि आपकी कुण्डली में शनि की साढे-साती या ढैय्या की चाल की वजह से जीवन में परेशानियां आ रही हैं तो शनि स्रोत का पाठ करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनि यंत्र धारण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.