हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्त्व होता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है इस दिन भोलेनाथ के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ते हैं. एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में. साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. इस समय सावन का महीना चल रहा है और सावन मास भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता है. सावन में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्त्व होता है. आज सावन का पहला प्रदोष व्रत है.
आज भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा की जाती है. भगवान शिव को जल चढ़ाकर शिव के मंत्र का जाप करें. इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेलपत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान और सुपारी आदि चढ़ाकर भगवान शिव की आरती करें.
करें भोलेनाथ की आरती
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव