भाद्रपद मास की अमावस्या आज है। शनिवार को पड़ने के कारण इसे भाद्रपद की शनिश्चरी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगती है। उन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष।
पितृ दोष की वजह से कई तरह की परेशानियां होने लगती है। अमावस्या के दिन पितृ दोष दूर करने के लिए उपाय किया जाता है। अमावस्या के दिन पितृ संबंधित कार्य करने की परंपरा है। इस दिन पितृ संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। पितृ दोष क्या होता है? ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है।
सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है। पितृ दोष दूर करने का उपाय इस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।
पितरों का स्मरण कर पिंड दान करना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए माफी भी मांगनी चाहिए। गाय को भोजन कराएं इस दिन गाय को भोजन अवश्य कराएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपको गाय को सात्विक भोजन ही करवाना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाता है।