इस साल देव उठनी एकादशी और तुलसी विवाह का पर्व कुछ जगहों पर 14 नवंबर को मनाया गया, तो कुछ जगहों पर 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, दोनों ही दिन एकादशी तिथि रहेगी। देवउठनी एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जानते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इसी दिन से शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार और माता तुलसी का विवाह कराने की परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाएं खत्म हो जाती हैं और घर में सुख, शांति और खुशहाली आती है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी तिथि 14 नवंबर को सुबह 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी, जो कि अगले दिन 08 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। 15 नवंबर को सूर्योदय के वक्त एकादशी तिथि होने से देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह पर्व आज भी है।
तुलसी विवाह पूजन विधि-
तुलसी के गमले सजाएं।
इसके चारों-ओर गन्ने का मंडप बनाकर उस पर लाल चुनरी ओढ़ाएं
गमले को साड़ी में लपेटकर तुलसी माता को चूड़ी आदि पहनाकर श्रृंगार करें।
भगवान श्रीगणेश सहित भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की पूजा करें।
भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा करवाएं।
धूप-दीप के बाद आरती करें।
15 नवंबर के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:58 ए एम से 05:51 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:27 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:53 पी एम से 02:36 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:17 पी एम से 05:41 पी एम
अमृत काल- 01:02 पी एम से 02:44 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:39 पी एम से 12:33 ए एम, नवम्बर 16