शुक्रादि ग्रहो की अपेक्षा भाव का विवरण क्या है? क्योंकि शुक्र गृह का आपके सैक्सी जीवन से सीधा संबंध!

Update: 2020-10-15 10:27 GMT

पं, वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ)

जातक की कुंडली के पहले भाव में शुक्र, जातक को अत्यधिक सुंदर, दीर्घायु, मॄदुभाषी, और विपरीत लिंगियो के बीच लोकप्रिय बनाता है. लेकिन जातक की पत्नी बीमार रहती है. जातक कामुक होगा और किसी भी धर्म, जाति, पंथ के मानव के साथ यौन संबंध बनाने को आतूर होगा। आमतौर पर ऐसा जातक स्वाभाव से बहुत रोमांटिक होता है। सामान्यत: कमाई शुरू करने से पहले ही जातक की शादी हो जाती है। ऐसा जातक हमउम्र लोगो का नेता बन जाता है, लेकिन परिवार के सदस्यों का नेतृत्व करना मुसीबतों का कारण बनता है. ऐसे जातक की रुचि धार्मिक गतिविधियों में नहीं होती है।

कुंडली के दूसरे भाव में शुक्र

कुंडली के दूसरे भाव में बैठा शुक्र जातक को धन संपत्ति वाला बनाता है। लेकिन दूसरों का बुरा या बुराई करना जातक के लिए हानिकारक साबित होगा। शेरमुखी घर (सामने से बड़ा और पीछे से कम) जातक के लिए विनाशकारी साबित होगा. ऐसे जातकों के लिए सोने और आभूषणों से संबंधित व्यवसाय अत्यंत हानिकारक होगा. मिट्टी के सामान से जुड़ा व्यवसाय, कृषि और पशु ऐसे जातकों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होंगे. अगर जातक स्त्री हो तो शुक्र संतान की समस्या देता है जबकि जातक के पुरुष होने पर पुत्र संतान की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है।

कुंडली के तीसरे भाव में शुक्र

जातक की कुंडली के तीसरे भाव में अगर शुक्र हो तो जातक इतना आकर्षक होता है कि हर प्रकार की स्त्रियां उसकी ओर आकर्षित होती हैं। ऐसे जातक को आम तौर पर सभी प्यार करते हैं। यदि जातक किसी और स्त्री से संबंध रखता है तो जातक को अपनी पत्नी की चापलूसी करनी पडती है। अन्यथा हमेशा उसकी पत्नी जातक पर हावी रहता है। हालांकि जातक की पत्नी सब पर हावी रहेगी लेकिन यदि जातक पराई स्त्री से संबंध नही रखता हो वह उस पर हावी रहेगा। जातक की पत्नी साहसी, समर्थक और बैलगाड़ी के दूसरे बैल की तरह जातक के लिए सहयोगी होगी. वह जातक को छल, चोरी और नुकसान से बचाने वाली होगी।

कुंडली के चौथे भाव में शुक्र

किसी भी जातक की कुंडली के चौथे भाव में बैठा शुक्र दो पत्नियों की संभावना को मजबूत करता है और जातक को धनवान बनाता है। यदि बृहस्पति दसम भाव में हो और शुक्र चौथे भाव में हो और जातक धार्मिक नहीं बन सकता है। अगर जातक धार्मिक प्रवृति में लिप्त होने का प्रयास करेगा तो प्रतिकूल परिणाम मिलेंगे। यदि जातक ने कुएं के ऊपर छ्त बना रखी है या मकान बना रखा है तो चौथे भाव में बैठा शुक्र पुत्र प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होगी। चौथे घर का शुक्र और पहले घर का बृहस्पति सास से झगडा करवाता है।

कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र

जातक की कुंडली के पांचवें भाव में शुक्र जातक को कामुक और इश्‍कबाज बनाता है। पांचवां घर सूर्य का घर है जहां शुक्र सूर्य की गर्मी से जल जाता है. इस प्रभाव से जातक अपने जीवनकाल में बडे दुर्भाग्य का सामना करता है। हालांकि, यदि जातक अपने चरित्र को अच्छा बनाए रखता है वह जीवन की कठिनाइयों को पार कर जाएगा और धनवान बनेगा। शादी के पांच साल के बाद जातक को पदोन्नति मिलेगी। ऐसा जातक अनुभवी और शत्रुओं को परास्त करने वाला होता है।

कुंडली के छठे भाव में शुक्र

जातक की कुंडली के छठे भाव में बैठा शुक्र जातक को विपरित लिंग की ओर आकर्षित करता है। लग्न का छठा भाव बुध और केतू का माना गया है जो एक दूसरे के शत्रु हैं, लेकिन शुक्र दोनों का मित्र है। इस घर में शुक्र नीच होता है। लेकिन यदि जातक विपरीत लिंगी को प्रसन्न रखता है और सारे और सुविधा उपलब्ध करवाता है तो उसके धन और पैसे में बृद्धि होगी। जातक की पत्नी को पुरुषों के जैसे कपडे नहीं पहनने चाहिए और न ही पुरुषों के जैसे बाल रखने चाहिए अन्यथा गरीबी बढती है। ऐसे जातक को उसी से विवाह करना चाहिए जिस स्त्री के भाई हों। ऐसा जातक अपने काम को बिच में अधूरा नहीं छोड़ता है।

कुंडली के सातवें भाव में शुक्र

कुंडली का सातवां भाव शुक्र का है, इस भाव में बैठा हुआ शुक्र जातक को काफी अच्छे परिणाम देता है। अगर शुक्र इस घर में हो और पहले भाव में स्थित ग्रह सातवें भाव पर इस प्रकार प्रभाव डालता है मानो वह सातवें भाव में स्थित हो। यदि पहले भाव में स्थित ग्रह शुक्र का शत्रु ग्रह जैसे राहू हो तो जातक की पत्नी और घरेलू मामले बुरी तरह से प्रभावित होंगे। जातक बडे पैमाने पर अपने पैसे महिलाओं पर खर्च करता है। विवाह से संबंधित व्यापार-व्यवसाय जैसे टेन्ट हाउस और ब्यूटी पार्लर आदि का काम जातक के लिए फायदेमंद रहेगा।

कुंडली के आठवें भाव में शुक्र

जातक की कुंडली के आठवें भाव में शुक्र का होना जातक के लिए शुभ नहीं माना जाता और नाही किसी और ग्रह के लिए यह घर शुभ माना जाता है। ऐसे जातक की पत्नी गुस्सैल और अत्यधिक चिड़चिडी हो जाती है। उसके मुंह से निकली बुरी बातें निश्चित रूप से सच साबित होती हैं। जातक स्वयं की सहानुभूति से पीडित हो जाएगा. किसी की गारंटी या जमानत लेना विनाशकारी साबित होगा. यदि दूसरे भाव में कोई ग्रह न हो तो 25 साल से पहले शादी न करें अन्यथा पत्नी मर जाएगी।

कुंडली के नौवें भाव में शुक्र

जिस जातक की कुंडली के नौवें घर में शुक्र अच्छे परिणाम नहीं देता। जातक धनवान हो सकता है लेकिन अपनी रोटी के लिए उसे काफी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। उसे अपने प्रयासों का उचित पुरस्कार नहीं मिलेगा। ऐसे जातक के घर में पुरुष सदस्यों, पैसा, धन और संपत्ति की कमी हो जाएगी. यदि शुक्र बुध या किसी अशुभ ग्रह के साथ है तो जातक सत्रह साल की उम्र से नशे और किसी रोग का शिकार हो जाएगा।

कुंडली के दसवें भाव में शुक्र

जातक की कुंडली के दसवें भाव में अगर शुक्र हो तो यह जातक को लालची, संदिग्ध और हस्तकला में रुचि लेने वाला बनाता है। जातक अपनी पत्नी के मार्गदर्शन के तहत कार्य करेगा। ऐसी दशा में जब तक पत्नी जातक के साथ होगी हर मुसीबत जातक से दूर रहेगी। कोई मोटर कार दुर्घटना या अन्य कोई नुकसान नहीं होगा। शनि से जुड़े व्यापार और चीजें फायदेमंद साबित होंगी।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में शुक्र

कुंडली के ग्यारहवें भाव में जो शुक्र होता है वह शनि और बृहस्पति से प्रभावित होता है, क्योंकि यह घर बृहस्पति और शनि के अंतर्गत आता है। यह घर तीसरे भाव से देखा जाता है जो कि मंगल और बुध का घर है। जातक की पत्नी अपने भाई के माध्यम से, बहुत फायदेमंद साबित होगी ।

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र

कुंडली के बारहवें भाव में शुक्र बहुत लाभकारी परिणाम देता है. जातक के पास ऐसी पत्नी होगी जो मुसीबत के समय में किसी ढाल की तरह कार्य करेगी। महिलाओं से मदद लेना जातक के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित होगा। शुक्र की बृहस्पति से शत्रुता के कारण पत्नी को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां हो सकती हैं। दूसरे या छठवें भाव में स्थित बुध जातक को रोगी बनाता है लेकिन जातक को साहित्यिक और काव्य प्रतिभा प्रदान करता है। ऐसा जातक 59 साल की उम्र में उच्च आध्यात्मिक शक्तियों प्राप्त करता है और 96 वर्षों तक जीवित रहता है।

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए पं. वेदप्रकाश पटैरिया शास्त्री जी (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें = 9131735636

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