करवाचौथ पर छननी का क्या है महत्व, चाँद को छननी से ही क्यो देखती है महिलाएं जानें पुराणिक कथा के अनुसार..
करवा चौथ पर छननी का महत्व: आज सुहाग के सबसे बड़े व्रतों में से एक करवा चौथ है। आज सुहागिनों ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखा है। महिलाएं आज शाम तक बिना पानी के उपवास करेंगी और उसके बाद गणेश, गौरी-शंकर और चंद्रमा की पूजा करेंगी। चंद्रमा को अर्ध्य देकर वो अपने पति के हाथों पानी पीकर अपना उपवास खोलेंगी। वैसे तो हर व्रत में सुहागिन स्त्रियां पूरी तरह से सज-धजकर पूजा-पाठ करती हैं
लेकिन करवा चौथ की पूजा में छननी से चांद को निहारा जाता है, जो कि इस व्रत के प्रमुख आकर्षण में से एक है। जब कोई महिला साज-शृंगार करके, हाथों में पूजा की थाली लेकर छननी से चांद को निहारती है और उसके बाद अपने पति को देखती है,वो क्षण अनुपम होता है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना भी काफी मुश्किल है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर क्या वजह है कि लोग छननी से चांद को निहारते हैं? नहीं , तो चलिए आपको बताते हैं इसका राज, जिसे कि हर व्रत करने वाले को जानना काफी जरूरी है।
करवा चौथ में चाँद को छननी से क्यों देखा जाता है?
दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि एक बार गणेश भगवान मूस की सवारी कर रहे थे कि अचानक वो मूस से नीचे गिर पड़े। गणेश भगवान को चोट तो लगी लेकिन कहीं कोई उन्हें देख ना लें इसलिए वो झट से उठ खड़े हुए अपने चारों ओर उन्होंने देखा कि कहीं किसी ने उन्हें गिरते हुए तो नहीं देखा? उन्हें चारों ओर कोई दिखाई नहीं दिया लेकिन तभी उन्हें किसी के जोर-जोर से हंसने की आवाज सुनाई दी और वो आवाज थी चंद्रमा की।
उसने भगवान गणेश का काफी मजाक उड़ाया, इस पर विध्नहर्ता को उस पर गुस्सा आ गया और कहा कि 'मूर्ख तू किसी के चोट पर हंसता है ना, तुझे खुद पर बड़ा अभिमान है तो जा मैं तुझे श्राप देता हूं आज के बाद तू घटता-बढ़ता रहेगा और जो कोई तुझे देखेगा ना उसे कलंक लगेगा इसलिए तेरा अब तिरस्कार होगा।'
गणेश की बात सुनकर चंद्रमा को अपनी गलती का एहसास हुआ, उसने तुरंत माफी मांगी लेकिन गणेश भगवान तो अपनी बात कह चुके थे, ऐसे में चंद्रमा नारद मुनि के पास पहुंचे और अपनी बात कह सुनाए। इस पर नारद मुनि ने चंद्रमा को गणेश जी की उपासना करने को कहा, चंद्रमा ने ठीक वैसे ही किया, जिस पर गणेश भगवान प्रसन्न हुए और उनके सामने प्रकट हुए, चंद्रमा ने फिर अपने किए की माफी मांगी और कहा कि गणेश भगवान मुझे श्राप मुक्त कर दें।
इस पर भगवान गणेश ने कहा कि 'मैं अपने शब्द तो वापस नहीं ले सकता हूं लेकिन अब तुम महीने में एक दिन पूरे आकार में होगे और अति सुंदर दिखोगे, उस दिन पूर्णिमा होगी, उस दिन तुम पूजे जाओगे लेकिन जो कोई भी तुम्हारी छननी से पूजा करेगा या तुम्हारी परछाई को देखेगा, उसे कलंक नहीं लगेगा बल्कि उसके यश में वृद्धि होगी।' ऐसा कहकर गणेश भगवान अंतरध्यान हो गए और तब से ही चंद्रमा की छाया की पूजा होने लग गई और लोग पूजा-पाठ में छननी से चांद को निहारने लगे।