घर क्यों नहीं ले जा सकते मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से प्रसाद, क्या है इसका रहस्य?

Update: 2021-08-31 13:10 GMT

भगवान राम जिस तरह भक्तों के लिए आराध्य हैं, उसी तरह रामभक्त हनुमान जी भी श्रध्दालुओं के लिए उतने ही पूजनीय हैं. अष्टसिद्धि, नौ निधि के दाता

भगवान बजरंग बली जैसी भक्ति पूरे समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करती है. जिस तरह भगवान राम का नाम ही इस भवसागर से पार लगा देता है, उसी तरह हनुमानजी की उपासना से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. हमारे देश में कई प्रसिद्ध हनुमान मंदिर हैं. राजस्थान के दौसा की दो पहाड़ियों के बीच स्थित मेहंदीपुर बालाजी (हनुमानजी का एक और नाम) का मंदिर इनमें एक अलग स्थान रखता है.

यह मंदिर अपने रहस्यों और विचित्र नजारों की वजह से भक्तों को सोच में डाल देता है. लेकिन फिर प्रभुकृपा को देखकर भक्त उन्हें नमन कर गदगद हो उठते हैं. इस मंदिर में खासतौर पर ऊपरी बाधाओं से पीड़तों को लेकर आया जाता है, हनुमानजी के चरणों में पहुंचने के बाद व्यक्ति पूर्ण रुप से स्वस्थ्य होकर घर लौटता है.

प्रसाद नहीं ले जा सकते घर

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में लोग परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों या दोस्तों को ऊपरी बाधाओं से पीड़ित होने के बाद लेकर आते हैं. मंदिर के किसी भी तरह के प्रसाद को बांटना और घर ले जाने की मनाही है. यहां तक कि कोई भी खाने-पीने की चीज या सुगंधित चीज को आप यहां से अपने घर नहीं ले जा सकते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने पर ऊपरी साया आप पर आ जाता है.

2 बजे लगता है दरबार

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए आने वाले लोगों का तांता लगा रहता है. यहीं पर प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की मूर्ति भी विराजित है. हर रोज 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी (कीर्तन) होती है. यहीं पर लोगों पर आए ऊपरी साए को दूर किया जाता है.

बालरुप में मौजूद हैं बालाजी

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में बालाजी की मूर्ति के ठीक सामने भगवान-राम सीता की मूर्ति है. बालाजी हमेशा अपने आराध्य के यहां दर्शन करते रहते हैं. यहां हनुमानजी अपने बालरूप में विराजे हैं. यहां आने वाले लोगों के लिए नियम है कि उन्हें कम से कम एक हफ्ते पहले से प्याज, लहसुन, नॉनवेज, शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए.

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