चंद्रयान-2 की ताजा रिपोर्ट, 2.1 KM पर नहीं टूटा था विक्रम से ISRO का संपर्क, इस ग्राफ मे दिखा सबूत
इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
इसरो (ISRO) को चांद पर विक्रम लैंडर की स्थिति का पता चल गया है. ऑर्बिटर ने थर्मल इमेज कैमरा से उसकी तस्वीर ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो पाया है. ये भी खबर है कि विक्रम लैंडर लैंडिंग वाली तय जगह से 500 मीटर दूर पड़ा है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है। अब इसरो वैज्ञानिक ऑर्बिटर के जरिए विक्रम लैंडर को संदेश भेजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि, उसका कम्युनिकेशन सिस्टम ऑन किया जा सके. इसरो के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार विक्रम लैंडर और ऑर्बिटर को संदेश भेजा जा रहा है ताकि कम्युनिकेशन शुरू किया जा सके।
7 सितंबर को इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) के मून मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की चांद पर लैंडिंग की तस्वीर. यह तस्वीर साफ तौर पर कह रही है कि पृथ्वी स्थित इसरो सेंटर का विक्रम लैंडर से संपर्क 335 मीटर की ऊंचाई पर टूटा था. न कि 2.1 किमी की ऊंचाई पर जिस समय विक्रम लैंडिंग कर रहा था, उसकी डिटेल इसरो के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (MOX) की स्क्रीन पर एक ग्राफ के रूप में दिख रहा था। इस ग्राफ में तीन रेखाएं दिखाई गई थीं. जिसमें से बीच वाली लाइन पर ही चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर अपना रास्ता तय कर रहा था. यह लाइन लाल रंग की थी. यह विक्रम लैंडर के लिए इसरो वैज्ञानिकों द्वारा तय किया गया पूर्व निर्धारित मार्ग था।
जबकि, विक्रम लैंडर का रियल टाइम पाथ हरे रंग की लाइन में दिख रहा था. यह हरी लाइन पहले से तय लाल लाइन के ऊपर ही बन रही थी। सब सही चल रहा था. विक्रम लैंडर का रियल टाइम पाथ यानी हरी लाइन उसके पूर्व निर्धारित मार्ग वाली लाल लाइन पर एकसाथ चल रही थी. अगर इस ग्राफ को ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि 4.2 किमी के ऊपर भी विक्रम लैंडर के रास्ते में थोड़ा बदलाव आया था लेकिन वह ठीक हो गया था. लेकिन, ठीक 2.1 किमी की ऊंचाई पर वह तय रास्ते से अलग दिशा में चलने लगा. इस समय यह चांद की सतह की तरफ 59 मीटर प्रति सेकंड (212 किमी/सेकंड) की गति से नीचे आ रहा था ।
400 मीटर की ऊंचाई तक आते-आते विक्रम लैंडर की गति लगभग उस स्तर पर पहुंच चुकी थी, जिस गति से उसे सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी. इसी ऊंचाई पर वह चांद की सतह के ऊपर हेलिकॉप्टर की तरह मंडरा रहा था. ताकि सॉफ्ट लैंडिंग वाली जगह की स्कैनिंग कर सके. तय किया गया था कि 400 मीटर से 10 मीटर की ऊंचाई तक विक्रम लैंडर 5 मीटर प्रति सेकंड की गति से नीचे आएगा. 10 से 6 मीटर की ऊंचाई तक 1 या 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से नीचे लाया जाएगा. फिर इसकी गति जीरो कर दी जाएगी.
चांद की सतह पर उतरने के लिए 15 मिनट के तय कार्यक्रम के दौरान विक्रम लैंडर की गति को 1680 मीटर प्रति सेकंड यानी 6048 किमी प्रति घंटा से घटाकर जीरो मीटर प्रति सेकंड करना था. 13वें मिनट में मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स की स्क्रीन पर सब रुक गया. तब विक्रम लैंडर की गति 59 मीटर प्रति सेकंड थी. चांद की सतह से 335 मीटर की ऊंचाई पर हरे रंग का एक डॉट बन गया और विक्रम से संपर्क टूट गया. इसके बाद विक्रम लैंडर चांद की सतह से टकरा गया. हालांकि, इसरो वैज्ञानिक अब तक उम्मीद नहीं हारे हैं...विक्रम से संपर्क साधने में लगे हैं।