चंद्रयान-2: इसरो की आखिरी उम्मीद में जान डाल रहा नासा, हो सकता है अब हैलो का जवाब दे विक्रम!

वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल हो गए तो ठीक, नहीं तो यह माना जा सकता है कि दोबारा विक्रम से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा.

Update: 2019-09-17 05:49 GMT

दिल्ली भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन चांद की सतह पर पड़े लैंडर विक्रम से दोबारा संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है। इसरो की मदद के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर और लैंडर से संपर्क बनाए हुए है. ये तीन सेंटर्स हैं - स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया का गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा. इस तीन जगहों पर लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं आ रहा है।

चंद्रयान-2 के लैँडर विक्रम को लेकर मंगलवार को कोई नई और अच्छी सूचना मिल सकती है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का प्रोब मिशन मंगलवार को चांद के उस हिस्से के ऊपर से गुजरेगा, जहां पर विक्रम पड़ा हुआ है। विक्रम चांद की सतह पर अपने उतरने वाली तय जगह से महज 335 मीटर की दूरी पर पड़ा हुआ है। इस बीच, सात सितंबर को हुई हार्ड लैंडिंग के चलते कोई जवाब नहीं दे रहे विक्रम से भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी संपर्क करने की कोशिशों में जुटा हुआ है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने बताया कि चांद पर शाम होने लगी है. हमारा LRO विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी. क्योंकि, शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना एक चुनौतीपूर्ण काम होगा. हो सकता है कि ये तस्वीरें धुंधली हों. लेकिन जो भी तस्वीरें आएंगी, उन्हें हम भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी से साझा करेंगे.

हैलो का जवाब अभी तक नहीं

इससे पहले नासा ने भी विक्रम से संपर्क कायम करने की कोशिश की थी। उसने रेडियो तरंगों के जरिए विक्रम को 'हैलो' संदेश भेजा था। नासा की जेट प्रपल्शन लेबोरेटरी ने विक्रम को रेडियो तरंगें भेजी थी, ताकि उसकी कोई प्रतिक्रिया मिल सके, मगर विक्रम का अभी तक कोई जवाब नहीं आया। सूत्रों ने बताया कि नासा की यह लेबोरेटरी इसरो की मंजूरी के साथ डीप स्पेस नेटवर्क (डीएसएन) के जरिए विक्रम से अब भी संपर्क करने में जुटी है। डीएसएन के तीन केंद्रों स्पेन के मैड्रिड, अमेरिका के कैलिफोर्निया के गोल्डस्टोन और ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में लगे ताकतवर एंटीना चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से तो संपर्क साध पा रहे हैं, लेकिन इन तीनों केंद्रों को विक्रम को भेजे जा रहे संदेशों का कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है।

अब चांद पर ढलने लगी है शाम

7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर गिरा था. जिस समय चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद पर गिरा, उस समय वहां सुबह थी. यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी. चांद का पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला पूरा समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. यानी 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी. 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का टाइम पूरा हो जाएगा. आज 17 सितंबर है, यानी चांद पर 20-21 सितंबर को होने वाली रात से कुछ घंटे पहले का वक्त. यानी, चांद पर शाम का वक्त शुरू हो चुका है.

अगर 20-21 सितंबर तक किसी तरह भी इसरो और दुनिया भर की अन्य एजेंसियों के वैज्ञानिक विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में सफल हो गए तो ठीक, नहीं तो यह माना जा सकता है कि दोबारा विक्रम से संपर्क करना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा. क्योंकि, चांद पर शुरू हो जाएगी रात, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होगी. चांद के उस हिस्से में सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी, जहां विक्रम लैंडर है. तापमान घटकर माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित रख पाएंगे, ये कह पाना मुश्किल है. इसलिए विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाएगा.। 


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