राम रहीम ने बेचीं 14 लाशें, आखिर थीं किसकी? बड़ा खुलासा

Update: 2017-09-09 04:47 GMT
एक तरफ पुलिस सिरसा में बाबा राम रहीम के डेरे में सर्च ऑपरेशन चला रही है. डेरे का चप्पा-चप्पा छान रही है. सिरसा डेरे के सर्च ऑपरेशन की वीडियोग्राफी भी की जा रही है. इस बीच डेरा सच्चा सौदा पर एक और बड़ा खुलासा हुआ है.
आपको बता दें कि डेरे ने लखनऊ मेडिकल कॉलेज को 14 डेड बॉडी यानी लाशें भेजी थीं. ऐसे में सवाल में उठता है कि ये डेड बॉडी किसकी थी. इसका कुछ अता-पता नहीं है, क्योंकि बिना डेथ सर्टिफिकेट और जरूरी दस्तावेज के डेरा सच्चा सौदा ने लखनऊ मेडिकल कॉलेज को ये 14 डेड बॉडी भेजी थीं.

दरअसल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम ने पिछले दिनों यहां निरिक्षण किया था, निरिक्षण के दौरान मेडिकल की पढ़ाई के लिए एक भी शव न मिलने पर आपत्ति जताई थी. इसके बाद कॉलेज ने जनवरी से अगस्त के बीच 14 शव मंगाए. लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि मार्च से जून के बीच यहां 14 डेड बॉडी आई थी. कागजात मांगे गए थे. डेड बॉडी परिवारीजनों के स्वीकृति पत्र देने के बाद सुपुर्द की गई है। इस संबंध में आईएमसी से रायसुमारी की जाएगी.
राम रहीम के डेरे से 14 शव को लखनऊ के बक्शी का तालाब क्षेत्र के जीसीआरजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज में भेजा गया था. एसएसपी दीपक कुमार के मुताबिक मार्च 2017 से जून माह तक करीब 14 शव जीसीआरजी में आए थे. इस बाबत छानबीन के दौरान शव को दान करने वाले लोगों का ब्योरा उपलब्ध मिला है. मामले की जांच की जा रही है.
एसएसपी ने बताया कि शवों को दान करने वाले राम रहीम के अनुयायी हैं और डेरे से जुड़े हुए लोग हैं. इसके बारे में पूछताछ में जीसीआरजी कॉलेज के अधिकारियों ने कहा कि शवों का प्रयोग छात्रों के पढ़ाई और रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया गया है. कॉलेज प्रशासन के पास से सभी कागजात बरामद किए गए हैं. अभी तक की जांच में पाया गया है कि परिवारीजन की स्वीकृति से ही शव दान किए गए हैं. एसएसपी का कहना है कि वह इस प्रकरण में एमसीआइ की गाइड लाइन के बारे में पता लगाकर सलाह लेंगे. पुलिस नियम की जानकारी करेगी और कानून का उल्लंघन पाए जाने पर आरोपितों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री डेरे के इस सच से कन्नी काट रहे हैं. इतना ही नहीं राम रहीम के नाम पर अभी भी इलाके के लोग जुबान खोलने को तैयार नहीं है.
हरियाणा की खट्टर सरकार के लिए ये इम्तेहान की घड़ी है. क्योंकि राम रहीम के आतंक का वजूद बचता है या खत्म होता है, इसका सारा दारोमदार खट्टर सरकार पर है. फिलहाल तो डेरा के समर्थकों की तरह खट्टर के मंत्री भी राम रहीम की अंधभक्ति से मुक्ति पाने में विफल दिख रहे हैं.
ऐसे ही ताकतवर लोगों से राम रहीम को ताकत मिलती रही है. नेताओं की बिरादरी वोट के लिए जब तक गुरमीत के नाम की माला जपती रहेगी, तब तक राम रहीम का वजूद बना रहेगा.
अनिल बिज जैसे नेताओं को डेरा सच्चा सौदा की विधिवत दीक्षा ले लेनी चाहिए या फिर कानून के संरक्षक होने का ढोंग बंद कर देना चाहिए. खट्टर सरकार को ये भी बताना चाहिए कि सर्च ऑपरेशन की औपचारिकता पूरा करने में 15 दिन क्यों लग गए. बता दें कि उंगलियां बीजेपी के भीतर से भी उठ रही हैं.
जेल जाकर भी राम रहीम हरियाणा की सियासत में जिंदा है. डेरा फैक्टर को आज भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए डेरा को पहले भी राजनीतिक पार्टियों का संरक्षण मिलता रहा और आज भी अनिल विज जैसे नेता का सिर डेरा के सम्मान में झुकने लगता है.
 

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