अल्पसंख्यक विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले टी राजा सिंह को बीजेपी गोशमहल सीट से लड़ाएगी चुनाव
अल्पसंख्यक विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले टी राजा सिंह को बीजेपी ने एक साल बाद पार्टी में पुनः शामिल कर लिया है।
भारतीय जनता पार्टी की एक तरफ जहां सब का साथ साथ सबका विकास की बात करती है वहीं दूसरी ओर उसकी तरफ से ऐसी चीज सामने आती है जो यह बताती है कि वह नफरत की राजनीति को बढ़ावा देने का काम कर रही है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावो के मद्देनजर भाजपा ने तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए 52 उम्मीदवारों की पहली सूची 22 अक्टूबर को जारी कर दी। '
बीजेपी की इस सूची में अपने अल्पसंख्यक विरोधी बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले टी राजा सिंह को गोशमहल निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया गया है। आपको बता दे की टी राजा सिंह को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करने के मामले में पार्टीशन निलंबित किया गया था लेकिन रविवार सुबह पार्टी द्वारा पहले टी राजा सिंह की सदस्यता बहाल की गई और फिर उन्हें विधानसभा टिकट दे दिया गया।
गौरतलब है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव 30 नवंबर को होंगे और नतीजे 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। राज्य में कुल 35,356 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा, जिसमें शहरी क्षेत्रों में 14,464 और ग्रामीण क्षेत्रों में 20,892 मतदान केंद्र होंगे। तेलंगाना में बीआरएस और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला बताया जा रहा है। साथी बीजेपी भी राज्य में हिंदुत्व कार्ड के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करने की कोशिश कर रही है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी इन पाँच राज्यों के चुनाव में लगातार हिंदू मुस्लिम पर ले जाने का प्रयास कर रही है। लेकिन अब तक नाकाम नजर आ रही है। इस बार फिर तेलंगाना राज्य में टी राजा को टिकिट देकर इस मुद्दे को गरम करने का प्रयास किया है। बीते दिनों की बात करें तो बीजेपी ने भारत के सामने इंडिया, सनातन धर्म , अगड़ा पिछड़ा , महिला आरक्षण , इसराइल हमास समेत कई मुद्दे जमीन पर अपना असर छोड़ने में नाकाम रहे।
साथ ही इन मुद्दों के वावजूद भी बीजेपी जहां तेलंगाना में सत्ता हासिल करने का मंसूबा सजाए बैठी थी वो उसका चूर चूर हो गया। अब वहाँ टक्कर सत्ताधारी टीआरएस की कांग्रेस के साथ है। फिलहाल कांग्रेस वहाँ बढ़त कायम करती दिख रही है। जबकि बीजेपी अब एक बार फिर से कहीं चार नंबर की पार्टी न बन जाए।
बीजेपी जिस तरह से इन पाँच राज्यों के चुनाव में पिछड़ती नजर आ रही है तो चार राज्य उससे दूर निकलते दिख रहे है जबकि एक राज्य राजस्थान में लड़ती दिख रही है लेकिन जिस तरह से बीजेपी में आपसी कलह बढ़ती जा रही है तो यह कहीं राजस्थान की रिवाज न बदल जाए कि एक बार कोई सरकार वापसी करे। फिलहाल यह कहना जल्द वाजी होगा।
आपको बता दें कि बीते कई दिनों से बीजेपी अपने चुनाव की धार देने की कोशिश करती नजर आ रही है लेकिन प्रत्येक दांव विफलता की ओर बढ़ता दिख रहा है। जिस तरह से मध्यप्रदेश में कद्दावर नेता और एमपी बीजेपी प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के सामने हुए झगड़ा फसाद में बीजेपी की छवि को जरूर धक्का लगा है। हालांकि बीजेपी पार्टी विद डिफरेंस की बात जरूर करती है, जिस तरह से राजस्थान में बीजेपी कार्यालय के बाहर आगजनी भी सवाल खड़ा करती है।
जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार घोषित होने के बाद विवाद वहाँ भी है लेकिन बहुत ज्यादा तनाव नहीं लग रहा है। हालांकि राजस्थान में कांग्रेस ने सिर्फ 33 उम्मीदवारों की सूची जारी की है जबकि अभी उसे 167 उम्मीदवारों की सूची जारी करनी है। इसके वाबजूद भी कांग्रेस में उतनी सिर फुटौबल नजर नहीं आ रही है।
इस चुनाव के बाद जहां राजनैतिक पंडित लोकसभा 2024 के बारे में कयास लगा रहे है तो अभी जल्दवाजी होगी लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी पिछले कई दिनों से अब मोदी के नाम पर नहीं बीजेपी के नाम पर वोट मांगते नजर आ रहे है क्या उन्हे लगने लगा है कि अब उनका असर खत्म होगया या फिर जनता पर उनका जादू अब असर करता नहीं दिख रहा है। जिस तरह से उन्होंने सभी प्रयास करने का बाद भी चुनावी धार देने में नाकाम होते नजर आ रहे है। फिर भी उनकी हिम्मत को दाद देनी पड़ेगी जो पूरे मनोयोग से चुनाव मैदान में जमे हुए है।