आगरा में पंचायत चुनाव अजीबोगरीब मामला समाने आया है, जहाँ 15 साल बाद घर के बाहर निकला आदमी जानिए क्यों ?
15 साल से इसलिए घर में बंद था राजबहादुर जाटव, बेटे ने प्रधानी का चुनाव जीतकर घुमाया गांव-गांव
पंचायत चुनावों (Panchayat Chunav) के नतीजें घोषित होने के साथ ही कई तरह के किस्से भी सामने आ रहे हैं. कहीं बहु सास को हरा रही है तो कहीं जेठानी की हार देवरानी से हो रही है. कई जगह तो पति-पत्नी ही चुनाव (Election) मैदान में आमने-सामने थे. प्रधानी का नतीजा (Result) आने के बाद ऐसा ही एक अजीब ओ गरीब किस्सा आगरा (Agra) में सामने आया है. जहां 15 साल घर में बंद पिता को बेटे ने प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद गांव-गांव में घुमाया.
इसलिए घर में बंद था राजबहादुर जाटव
आगरा के खंदौली ब्लॉक में ग्राम पंचायत रामनगर है. राजबहादुर जाटव इसी गांव में अपने परिवार के साथ रहता है. गांव में राजबहादुर की अच्छी साख है. साल 2005 में इसी गांव से राजबहादुर ने प्रधानी का चुनाव लड़ा था. यह पहला मौका था जब राजबहादुर के परिवार में से कोई राजनीति में उतर रहा था. इत्तेफाक से चुनाव में राजबहादुर हार गया. चुनाव हारने के बाद राजबहादुर को लोगों के ताने और छींटाकशी का इतना डर लगा कि उसने खुद को घर में कैद कर लिया.
कहीं भी आना-जाना बंद कर दिया. राजबहादुर के इकलौते बेटे भूपेंद्र सागर उर्फ सोनू जाटव के मुताबिक परिवार, रिश्तेदार और गांव वालों ने बहुत समझाया कि राजनीति और चुनावों में तो ऐसा होता ही रहता है. लेकिन पिता नहीं माने और घर से निकलना बंद कर दिया.
चुनावी हार के सदमे पिता को उबारने के लिए भूपेंद्र सागर उर्फ सोनू जाटव ने 2010 में प्रधानी का चुनाव लड़ा. सोचा कि जीतने के बाद पिता को तोहफा देगा और उन्हें घर से बाहर ले आएगा. लेकिन सोनू की यह सोच कामयाब नहीं हुई और सोनू चुनाव हार गया. बावजूद इसके सोनू ने हिम्मत नहीं हारी. अंदर ही अंदर वो आने वाले चुनावों के लिए फिर से तैयारी करने लगा.
इस साल के चुनावों के लिए एक बार फिर से सोनू ने तैयारी शुरु कर दी. मकसद था पिता को सम्मान के साथ घर से बाहर लाकर गांव वालों के सामने लाना. 2021 में अनुसूचित सीट से फिर सोनू ने पर्चा भर दिया. चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी, जिसका नतीजा यह निकला कि सोनू 12 65 वोट से जीत गया. सोनू को जीत का प्रमाण पत्र मिल गया. घर पहुंचकर सोनू ने प्रमाण पिता के कदमों में रख दिया. उसके बाद पिता को घर से बाहर लेकर आया. पूरे गांव में पिता को दूसरे लोगों से मिलवाया. पिता को फूलों की माला पहनाई गई. दोनों पिता-पुत्र ने अपने वोटरों का धन्यवाद किया.