आगरा में गुरुवार से दो दिवसीय सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होने जा रहा है. इसमें अखिलेश यादव का फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना तय है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल भी तीन साल से बढ़ाकर पांच साल किए जाने की संभावना है. हालांकि इस अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के शिरकत करने को लेकर सस्पेंस बरकरार है. वैसे सूत्रों के मुताबिक ये दोनों नेता शामिल नहीं होंगे. इसकी एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि पिछले दिनों हुए आठवें प्रांतीय सम्मेलन में भी ये नेता शामिल नहीं हुए थे.
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पार्टी के भीतर हाशिए पर चल रहे शिवपाल यादव की नाराजगी के सवाल पर अखिलेश ने अधिवेशन की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बुधवार को चाचा शिवपाल यादव ने टेलीफोन पर बातचीत करते हुए उनको बधाई और आशीर्वाद दिया. अखिलेश का इशारा फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने की संभावना की तरफ था. अखिलेश ने इस मसले पर कहा, ''मुझ अपनी उम्र और रिश्ते का फायदा मिला. उन्होंने मुझे आशीर्वाद देने के साथ ही मुबारकबाद भी दी.''
इससे पहले अखिलेश ने पिछले दिनों अपने पिता मुलायम को राष्ट्रीय अधिवेशन का न्यौता देने के बाद दावा किया था कि उन्हें सपा संरक्षक का आशीर्वाद हासिल है. मुलायम ने भी गत 25 सितंबर को संवाददाता सम्मेलन में अखिलेश के मुखालिफ शिवपाल सिंह यादव के धड़े को झटका देते हुए कहा था कि पिता होने के नाते उनका आशीर्वाद पुत्र के साथ है. राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल बढ़ाये जाने के बाद यह भी तय हो जाएगा कि सपा वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी अखिलेश के नेतृत्व में लड़ेगी. अखिलेश गत एक जनवरी को लखनऊ में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम की जगह सपा के अध्यक्ष बने थे, जबकि मुलायम को पार्टी का 'संरक्षक' बना दिया गया था. साथ ही शिवपाल को सपा के प्रांतीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.
सूत्रों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव ने सुलह का खाका तैयार कर लिया है. सब कुछ ठीक रहा तो राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है. इसके बाद शुक्रवार को मुलायम और शिवपाल दोनों अखिलेश को आशीर्वाद देने के लिए आगरा अधिवेशन में शामिल हो सकते हैं.
सपा का यह अधिवेशन ऐसे समय हो रहा है जब पार्टी में अखिलेश और शिवपाल धड़ों में रस्साकशी का दौर जारी है. फिलहाल हालात अखिलेश के पक्ष में नजर आ रहे हैं. माना जा रहा था कि खुद को सपा के तमाम मामलों से अलग कर चुके मुलायम गत 25 सितंबर को लखनऊ में हुए संवाददाता सममेलन में अलग पार्टी या मोर्चे के गठन का एलान करेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार करके शिवपाल खेमे को करारा झटका दे दिया.
मुलायम के सहारे 'समाजवादी सेक्युलर मोर्चे' के गठन की उम्मीद लगाये शिवपाल पर अब अपनी राह चुनने का दबाव है. पिछली 23 सितंबर को लखनऊ में आयोजित सपा के प्रान्तीय अधिवेशन में उन्होंने शिवपाल यादव गुट को 'बनावटी समाजवादी' की संज्ञा देते हुए समर्थक कार्यकर्ताओं 'बनावटी समाजवादियों' के प्रति आगाह किया था.
अखिलेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारियों में जुटने का आह्वान किया था. माना जा रहा है कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन में इसकी तैयारियों की रूपरेखा तय हो सकती है.