कोरोना संकट के बाद ताला-हार्डवेयर कारोबार पर महंगाई का संकट

Update: 2021-01-10 06:40 GMT

अलीगढ़: कोरोना संकट के बाद ताला-हार्डवेयर कारोबार पर महंगाई ने संकट गहरा दिया है। कच्चे माल पर बढ़ी 35 फीसद तक की कीमतों का बाजार पर असर दिखने लगा है। निर्माताओं ने 15 से 20 फीसद तक अपने उत्पादन के रेट बढ़ा दिए हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित ट्रेडर हो रहे हैं। बाजार में प्रतिस्पर्धा के चलते वह अपने प्रोडक्ट के दाम नहीं बढ़ा पा रहे हैं। मंदी की मार झेल रहे कारोबारियों के सामने माल के ऑर्डर का पहले से ही टोटा है।

ये है दाम बढ़ाने की वजह

22 मार्च के बाद से लॉक्स एंड हार्डवेयर इंडस्ट्रीज तमाम झंझावतों से जूझ रही है। रियल एस्टेट डाउन होने क चलते डोर, फर्नीचर फिटिंग के ऑर्डर नहीं मिल रहे थे। देश के विभिन्न राज्यों में ताला-हार्डवेयर उत्पादन की सप्लाई करने वाले सप्लायर्स व ट्रेडर्स को पहले की तरह न तो ऑर्डर मिल रहे थे, ना ही एक मुस्त भुगतान मिल रहा था। बाजार में बुक ऑर्डर भी रोक दिए गए थे। इससे मैन्युफैक्चरिंग धराशाही हो गई। देशी-विदेशी बाजार में मांग की कमी रही है।

जुलाई से वाणिज्यक गतिविधियां जब तेज हुई तो अगस्त से कच्चे माल पर दो से पांच रुपया प्रतिकिलो तक दाम बढ़ते चले गए। देखते ही देखते लोहा-पीतल, जस्ता निकिल के रेट आसमां पर पहुंच गए। अगस्त में टाटा की प्राइम सीट 45 हजार रुपया टन थी वह गुरुवार को 70 हजार रुपया टन बिकी। हार्डवेयर में प्रयोग की जाने वाली आयरन की रॉड 40 हजार रुपया टन थी, यह दिसंबर में 52 से 53 हजार रुपया टन बिकी है। यह 80 हजार रुपया प्रति टन पड़ रही है।

आयरन स्क्रेप मेल्डिंग 25 से 26 हजार रुपया टन थी, दिसंबर में यह 35 से 36 हजार रुपया टन बिकी। अब यह 38 से 40 हजार रुपया प्रतिटन बिक रही है। इसी तरह पीतल अगस्त में स्क्रेप 280 रुपया प्रतिकिलो थी, दिसंबर में यह 360 रुपया प्रतिकिलो बिकी है। अब यह 370, जस्ता अगस्त में 170 रुपया प्रतिकिलो था, दिसंबर में यह 230 रुपया प्रति किलो बिका। इसके भाव स्थिर हैं। निकिल 1050 रुपया प्रति किलो थी, दिसंबर में 1400 रुपया प्रतिकिलो मिली। यह 1450 रुपया प्रतिकिलो बिकी।

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