अलीगढ़ में डीएनए जांच ने खोला दुष्कर्म का सच, निर्दोष ने दो साल काटी सजा

Update: 2021-03-31 12:47 GMT

जिले के बरला थाना क्षेत्र के एक युवक ने दो साल की सजा उस जुर्म में काटी, जो उसने किया ही नहीं। दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट को डीएनए रिपोर्ट ने झुठला दिया है। रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का जैविक पिता आरोपित नहीं कोई और है।

हाई कोर्ट के आदेश पर युवक को जेल से मुक्ति तो मिल गई, लेकिन इस मामले ने सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैैं। बरला क्षेत्र के एक गांव के किसान ने 23 फरवरी, 2019 को पड़ोस के ही युवक अमित के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट, धमकी देने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि उसकी 13 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया है। युवक के धमकाने के चलते उसने किसी को कुछ नहीं बताया। सात माह की गर्भवती होने के बाद उसने घरवालों को जानकारी दी। 26 फरवरी को युवक को जेल भेज दिया गया।

दो माह बाद अप्रैल में किशोरी ने बच्ची को जन्म दिया। युवक के पिता ने अधिकारियों व राजनीतिज्ञों से बेटे को निर्दोष बताकर मदद की गुहार लगाई। न्यायालय में भी जमानत के लिए याचिका डाली। लेकिन, बच्ची के जन्म की दलील सामने आने पर याचिका खारिज हो गई। जुलाई, 2020 में अधिवक्ता हरिओम वाष्र्णेय के माध्यम से हाई कोर्ट में दलील रखी गई। यहां से डीएनए जांच की अनुमति मिली, जिसकी रिपोर्ट मेें अमित निर्दोष पाया गया। होली के दिन इसे जेल से रिहा कर दिया गया।

अधिवक्ता हरिओम वाष्र्णेय का कहना है कि सिर्फ गुड वर्क दिखाने के लिए संवेदनशील मामले में ठीक से जांच किए बिना युवक को जेल भेज दिया, जबकि अमित एक साल से गांव आया ही नहीं था। वह फरीदाबाद में नौकरी करता था। पाक्सो की विशेष अदालत में मामला चल रहा है। अभी चार्ज फ्रेम होना है।

अब कोर्ट में आरोप डिस्चार्ज कराए जाएंगे। इसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।युवती और अमित के स्वजन दूसरे का खेत किराए पर लेकर साथ में खेती करते थे। करीब ढाई साल पहले लेनदेन का विवाद हो गया था।संभवत:इस पर युवक को फसाया गया है।

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