"पानी पी खाना खा चाँद देखकर घर चल", और आईपीएस अधिकारी राजेश पाण्डेय हो गये भावुक

Update: 2017-11-09 07:19 GMT

यह घटना अलीगढ़ जिले की है। जिस जिले के पुलिस कप्तान की कमान आईपीएस अधिकारी राजेश पाण्डेय सम्भाले हुए है। निकाय चुनाव के दौरान एक बूथ पर पहुंचकर स्कूल को देखकर भावुक हो गये। और फिर पूरी कहानी को इस प्रकार लिख डाला। 


अलीगढ़ से लगभग 50 कि0मी0 की दूरी पर कस्बा छर्रा, मौहल्ला सोनाराम में जीर्ण-क्षीण, दयनीय भवन में चल रहा प्राथमिक कन्या पाठशाला हाईस्कूल,की कक्षा सातवीं की, एक कक्षा में ब्लैक बोर्ड पर अध्यापिका ने यह वाक्य लिख रखा था, जिसे देखकर मैं हैरत में पड गया । इसे देखकर प्राथमिक विद्यालयों की दुर्दशा का एक चित्र स्वतः ही मेरे मस्तिष्क में आ गया । कौतुहलवश मैं कक्षा के भीतर प्रवेश कर गया, ब्लैक बोर्ड की लिखावट देखी तो उसमें *पानी* के नीचे एक तीर बना हुआ, नीचे लिखा हुआ *पानीपत* का युद्ध-1526, *खाना* के नीचे एक तीर बना हुआ, उसके नीचे लिखा हुआ *खानवा* का युद्ध-1527, *चाँद* के नीचे एक तीर बना हुआ, नीचे लिखा हुआ *चन्देरी* का युद्ध-1528, अन्त में *घर* के नीचे तीर बना हुआ, *घाघरा* का युद्ध-1529 ।





 

दरअसल इतिहास की इन तिथियों को याद करने के लिये नेमोनिक्स (Mnemonic) के सहारे अध्यापिका अपनी छात्राओं को कभी न भूलने वाला फार्मूला बता रहीं थी । नेमोनिक्स (Mnemonic) का हिन्दी शब्द कोष में अर्थ याददाश्त बढ़ाने वाले शास्त्र, स्मृति सहायक, स्मरक उल्लखित हैं । मैंने अध्यापिका से पूछा तिथियों को याद करने के लिये यह वाक्य आपको कहाँ से मिला । अध्यापिका द्वारा यह बताया गया कि ''यह मैने खुद बनाया है इसको बच्चों को इतिहास की तिथियां याद करने में कोई कठिनाई नहीं है, उसने यह भी बताया कि इन बच्चों को इतिहास की सभी तिथियां सही-सही याद हैं, जो मैने इसी तरह छोटे-छोटे स्थानीय वाक्य बनाकर उन्हें याद करायी हैं । 
अध्यापिका का अपनी छात्राओं के बारे में गुरूतरभाव, सेवा के प्रति उनका समर्पण, अध्यापन की विधा मे उनका शोध और अति सीमित संसाधनों और सुविधाओं के आभाव में, बच्चों के भविष्य के बारे में उनकी चिंता देखकर मैं अह्लादित हुआ ।



 यहां यह बताना समीचीन है कि मैं और जिला मजिस्ट्रेट श्री हृषिकेश भास्कर यशोद स्थानीय नगर निकाय चुनावों के दृष्टिगत छर्रा कस्बे की नगर पंचायत के लिये होने वाले मतदान हेतु निर्धारित मतदान केन्द्रों का निरीक्षण करने छर्रा गये थे। इस स्कूल में घुसते ही जर्जर भवन की दुर्दशा, बिना खिड़की दरवाजे की कक्षायें, कच्ची जमीन देखकर जिला मजिस्ट्रेट ने प्रधानाचार्य से कई सवाल पूछे और प्रधानाचार्य ने यह बताया कि पिछले 27 वर्षो से इस कन्या पाठशाला की बिजली कटी हुई है तो वहां खड़े सभी अधिकारी स्तब्ध रह गये ।डी एम ने तुरन्त बिजली कनेक्शन जोडऩे के आदेश दिये । 

कक्षा 07 में इतिहास पढ़ाने वाली उस अध्यापिका का समर्पण देख कर यही लगा कि ऐसे ही बिरले शिक्षक-शिक्षकाओं के कारण आज भी यह शिक्षा व्यवस्था चल रही है । शिक्षिका द्वारा याददाश्त बनाये रखने के लिये दिये गये यह छोटे-छोटे फार्मूले छात्राओं को केवल इतिहास की तिथि याद करने में ही मदद नहीं कर रहे होगें बल्कि मेधावी एवं कुशाग्र छात्राये अन्य विषयों जैसे-ऐतिहासिक तिथि, भौगोलिक डाटा ,गणित, भौतिकी और रसायन के कठिन फार्मूलों को याद करने के लिये ऐसे वाक्य स्वयं बना लेती होगी।
कान्वेन्ट के शिक्षित छात्र-छात्रायें नेमोनिक्स (Mnemonic) के बारे में जरूर जानते होगें लेकिन मुख्यालय से दूर ग्रामीण अंचल के छोटे से कस्बे में एक अध्यापिका का यह प्रयास इन छात्राओं की शैक्षिक प्रतिभा में निश्चित रूप से चार चाँद लगा चुके होगें। इस अध्यापिका ने पूछने पर अपना नाम कु0 रश्मी बताया, इस अध्यापिका मैं सौ बार सलाम करता हॅू, प्रणाम करता हॅू, सम्मान करता हॅू ।

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