विधायक अमनमणि त्रिपाठी को बड़ी राहत, बिजनौर की अदालत ने दी जमानत

पुलिस ने महामारी एक्ट समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत कार्रवाई की थी.

Update: 2020-05-05 14:24 GMT

उत्तर प्रदेश के चर्चित निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को बिजनौर कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी. साथ ही उनको साथियों समेत 14 दिन के लिए क्वारनटीन करने के आदेश भी दिए गए हैं. आपको बता दें कि पुलिस ने सोमवार को अमनमणि को उनके 7 समर्थकों समेत गिरफ्तार कर लिया था. उनके खिलाफ पुलिस ने महामारी एक्ट समेत आईपीसी की कई धाराओं के तहत कार्रवाई की थी.

पुलिस ने मंगलवार को निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उनके साथियों सहित कोर्ट में पेश किया था. रिमांड मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेशी के दौरान अमनमणि त्रिपाठी की जमानत मंजूर कर ली गई. लेकिन अदालत ने पुलिस को हुक्म दिया कि उन सभी को 14 दिन के लिए क्वारनटीन किया जाए. अदालत के इस फैसले को अमनमणि के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है.

 आपको बता दें कि उत्तराखंड यात्रा से उठे विवाद के बाद विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ उत्तराखंड के टिहरी जिले में मुकदमा दर्ज किया गया था. उन पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का आरोप था. खास बात है कि नियमों की अनदेखी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट के पितृ कार्य के नाम पर की गई थी. हालांकि, सीएम योगी के भाई महेंद्र ने किसी भी पितृ कार्य से इनकार किया था.

आरोप है कि 11 लोगों के साथ विधायक अमनमणि त्रिपाठी चमोली पहुंचे थे. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट का पितृ कार्य पूरा करने के लिए अनुमति मांगी थी. उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने 11 लोगों की अनुमति जारी की थी. देहरादून से लेकर चमोली तक अमनमणि त्रिपाठी को पूरा प्रोटोकॉल दिया था.

 हालांकि, तीन गाड़ियों में चमोली पहुंचे अमनमणि त्रिपाठी ने एसडीएम कर्णप्रयाग के साथ बदसलूकी कर दी और फिर मामला मीडिया में आ गया. आरोप है कि अमनमणि त्रिपाठी ने गौचर में डॉक्टर और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ बदसलूकी की और रौब दिखाते रहे.

कर्णप्रयाग के एसडीएम का कहना था कि अमनमणि त्रिपाठी अन्य लोगों के साथ यूपी से आए थे. उनके पास 3 वाहन थे. उन्हें गौचर बैरियर पर रोक दिया गया. उन्होंने बैरियर पर रोकने के बावजूद पार किया और कर्णप्रयाग पहुंच गए. उन्होंने डॉक्टरों से बहस की और स्क्रीनिंग में सहयोग नहीं किया. वे बहुत समझाने के बाद लौटे.

वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र ने किसी भी तरह के पितृ कार्य को नकारा है. उनके मुताबिक पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट की अस्थियों को प्रवाहित किया जा चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरी इजाजत किस आधार पर दी गई. बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बावजूद अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड में प्रवेश कैसे करने दिया गया है.

कोरोना के चलते पूरे देश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत धार्मिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से आम जनता के लिए बंद है. बावजूद इसके अमनमणि त्रिपाठी को इजाजत क्यों दी गई? फिलहाल, अमनमणि के खिलाफ टिहरी के मुनी की रेती थाने में महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है.

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