योगी राज मे भूमफियाओं का दुस्साहस, रात के अंधेरे में कब्रों पर मिट्टी डालकर कब्रिस्तान पर कब्जे की कोशिश
ये भू माफिया प्रवृति के लोग हैं। लिहाजा कब्रों की बेहुरमति रोकने और कब्रिस्तान का मूल स्वरूप बचाने के लिए इनके विरुद्ध फौरन सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश में भू माफियाओं के खिलाफ योगी सरकार की सख्ती के बावजूद भूमाफियाओं के हौसले पस्त नहीं हो रहे. खाली पड़े निजी प्लाट से लेकर श्मशान और कब्रिस्तान की जमीने कब्जाने के लिए भूमाफिया हर हथकंडा अपनाने पर तुले हुए हैं। ताजा मामला बिजनौर से सामने आया है। यहां शहर से लगे एक क़दीमी यानि पुराने कब्रिस्तान में रातों-रात कब्रों पर पर मिट्टी डालकर उस पर कब्जा करने की कोशिश की गई। इस मामले को लेकर रविवार को दिनभर हंगामा रहा। इस मामले की शिकायत एंटी भू माफिया पोर्टल पर दर्ज कराई गई है।
क्या है पूरा मामला?
कब्रिस्तान पक्ष के लोगों को रविवार की सुबह पता चला कि रात के अंधेरे में कब्रों को मिट्टी से पाटकर कब्रिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश की गई है। लोगों ने कब्रिस्तान पहुंच कर वहां से मिट्टी हटानी शुरू की। कुछ ही देर में पुलिस ने आकर उन्हें रोक दिया। पुलिस ने उन्हें बताया कि उनके खिलाफ थाने में शिकायत हुई है कि वो जमीन के मालिकों को यहां निर्माण कार्य करने से रोक रहे हैं। लोगों ने पुलिस को बताया कि ये कोई आवासीय प्लॉच नहीं बल्कि बहुत पुराना कब्रिस्तान है। हंगामा होते देख काफी संख्या में आसपास के लोग भी इकट्ठा हो गए। लोगों के गुस्से को देखते हुए पुलिस ने जमीन के कथित मालिकों की तरफ से दिया गया अदालत का एक आदेश दिखाया। इसमें गजाली नामक व्यक्ति ने खुद को जमीन का मालिक और काबिज होना बताया है और अदालत से अनुरोध किया है कि प्रीतिवादी यानि कब्रिस्तान पक्ष उसके निजी आवासीय प्लाट में निर्माण कार्य में बाधा डाल रहा है। लेकिन कब्रिस्तान में ताजा डली गई मिट्टी में दबी पक्की और कच्ची कब्रें देखकर वहां पहुंची पुलिस भी दंग रह गई। बाद में शहर कोतवाली थाने के एक दरोगा और क्षेत्राधिकारी ने मौके पर हुंचकर जायजा लिया और लोगों को भरोसा दिलाया कि कब्रिस्तान पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।
क्या हुआ है खेल?
करीब एक बीघा जमीन में बने इस कदीमी यानि पुराने कब्रिस्तान को आगरा निवासी असरार अहमद ने तीन अलग-अलग लोगों को टुकड़ों में बेच दिया है। 7 दिसंबर 2022 को आमिर को 747.30 वर्ग गज और गजाली को 97.58 और साकिब को भी 97.58 वर्ग गज का बैनामा कर दिया है। तीनों लोग बिजनौर जिले के अलग-अलग क्षेत्र के रहने वाले हैं लेकिन तीनों ने एक ही दिन एक ही वकील के जरिए बनावा कराया है। 9 दिसंबर को तीनों ने जिला जज के यहां कैविएट दाखिल करते कब्रिस्तान पक्ष के अलग-अलग लोगों को नोटिस भिजवा दिए। 15 दिसंबर को अदालत ने इनके वकील को एक पक्षीय सुनकर यह फैसला दे दिया कि प्रतिवादी इनके निर्माण कार्य में बाधा ना डालें। अदालत ने दोनों पक्षों को 13 जनवरी को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया भी है। अदालत ने यह आदेश इस शर्त के साथ दिया है कि अगर उसे यह पता चलता है कि वह वादी ने अदालत से जमीन के बारे में कोई भी तथ्य छुपाया है तो ये आदेश स्वत: ही निरस्त हो जाएगा। इसी आदेस की आड़ में कब्रिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश की गई है।
कब्रिस्तान पक्ष ने इस पूरे मामले की शिकायत मुख्यमंत्री के भू माफिया पोर्टल पर करके कब्रिस्तान पर कब्जा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की है। इस शिकायत में कहा गया है कि इस कब्रिस्तान में बरसों से वो लोग अपने मूरिसान (शव) दफ्न कर रहे हैं। इसमें सौ से ज्यादा पक्की और कच्ची कब्रें हैं। रिहयशी इलाके में आ जाने की वजह से कब्रिस्तान की जमीन की कीमत काफी बढ़ गई है। इसलिए पिछले कई साल से भूमाफियाओं की इस पर बुरी नजर रही है।
आज दिनांक 18 दिसम्बर 2022 को प्रातः हमें पता चला कि बीति रात कुछ भू- माफियाओं ने हमारे कब्रिस्तान पर चोरी छिपे कब्जा करने का प्रयास किया है। मौके पर पहुंचने पर हमें बताया गया कि मौ. गजाली पुत्र मौ. आमिल, मौ. आमिर पुत्र मौ. फारुख एवं मौ. शाकिब पुत्र मौ. अख्तर ने बीती रात कब्रिस्तान में मोजूद कब्रों पर मिट्टी डालकर उन्हें मिसमार करने का प्रयास किया है। इन तीनों ने कब्रिस्तान की पहचान मिटाकर उस पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा करने की नीयत से ऐसा किया है।
इस संबंध में ये तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि ये आराज़ी राजस्व रिकॉर्ड में कब्रिस्तान के रूप में ही दर्ज है। इसी आधार पर दौराने चकबंदी इसे चकबंदी प्रक्रियाओं से बाहर रखा गया था। इसका सीएच 18 हुआ। बस इसका खसरा नंबर बदला। पुरना खसरा नं 90 था नया खसरा नबंर 81 है। इसका रकबा 0.1000 हे0 है। इसके उर्उइसके पूर्व में सड़क पश्चिम व उत्तर में प्रेम खन्ना आदि की और दक्षिण में मन्नू की संपत्ति है।
इस कब्रिस्तान के संबंध में असरार अहमद पुत्र तुफैल अहमद ने साल 2010 में एक वाद न्यायालय सिविल जज जु0 डी0 बिजनौर में वाद संख्या 75/2010 असरार अहमद बनाम शफीक अहमद आदि दायर किया था। उन्होंने इस आराजी के खसरा नंबर में अपना नाम दर्ज होने का आधार पर ये वाद दायर किया था। हमारी आपत्ति पर दिनांक 5-04-2013 को असरार अहमद का दावा पूरी तरह खारिज हो गया था। कब्रिस्तान में हमारे मूरिसान की ही कब्रे पाई गईं। उक्त आदेश व उसके निर्णय के विरूद्ध दायर अपील 18/2013 असरार अहमद बनाम शफीक अहमद आदि 22-08-2017 को खंडित हुई। बाद में असरार अहमद ने इलाहबाद हाईकोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी थी। लेकिन इस मामले में अभी तक कोई सुनवाई नही हुई है। यह वाद इलाहबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
हाल ही में हमें सूचना निली कि असरार अहमद ने इस कब्रिस्तान के तीन अलग-अलग बैनामे गजाली पुत्र मौ. आमिल निवासी जित्तनपुर, मौ. आमिर पुत्र मौ. फारुख निवासी मोहल्ला कानून गोयान, निवासी झालू और मौ. साकिब पुत्र मौ. अख्तर निवासी ग्राम खारी को कर दिए हैं। बैनामे इसी महीने 7 दिसंबर 2022 को किए गए हैं। बगैर किसी अधिकार के किए गए ये बैनामे पूरी तरह गैर कानूनी हैं। क्योंकि कब्रिस्तान की आराजी पर असरार अहमद का मालिकाना हक साबित नहीं हुआ है। प्रार्थी और अन्य साझीदार आपत्ति दर्ज कराके इन बैनामों के निरस्तिकरण के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रिया अपना रहे हैं। बैनामों के बाद अभी दखिल खारिज भी नहीं हुआ है। इस बीच दाखिल खारिज के बगैर ही उपरोक्त व्यक्तियों ने 17 व 18 दिसबंर 2022 की रात को चुपचाप कब्रिस्तान में अवैध रूप से हमारे पूर्वजों की कब्रों पर मिट्टी डाल कर उनकी बेहुरमति की है तथा उन्हें मिसमार करके कब्रिस्तान की पहचान मिटाने की कोशिश की है।
आज यानि 18 दिसंबर की सुबह खबर मिलने पर जब हम लोग मौके पर पहुंचे तब वो झगड़े पर आमादा हो गए। कब्रिस्तान पर कब्जे को लेकर मोहल्ले में तनाव की स्थिति बनी हुई है। कब्जा करने वाले झगड़े पर आमादा हैं। ये लोग ताकत के बल पर कब्रिस्तान पर जबर्दस्ती कब्जा करके निर्माण कार्य करने पर आमादा है। ये कब्रिस्तान के साझीदारों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। ये भू माफिया प्रवृति के लोग हैं। लिहाजा कब्रों की बेहुरमति रोकने और कब्रिस्तान का मूल स्वरूप बचाने के लिए इनके विरुद्ध फौरन सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी आवश्यक है।
शिकायती पत्र में बगैर अधिकार गैर कानूनी तरीक से कब्रिस्तान की जमीन का बैनामा करने वाले असरार अहमद पुत्र तुफैल अहमद निवासी आगरा, और बैनामा करवाने वाले गजाली पुत्र मौ. आमिल निवासी जित्तनपुर, मौ. आमिर पुत्र मौ. फारुख निवासी मोहल्ला कानून गोयान, निवासी झालू और मौ. साकिब पुत्र मौ. अख्तर निवासी ग्राम खारी के खिलाफ धोखाधड़ी करके कब्रिस्तान का बैनामा कराने, कब्रिस्तान पर गैरकानूननी तरीके से बलपूर्वक कब्जा करने और कब्रिस्तान के साझीदारों को डराने, धमकाने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में उचित धाराओं में फौजदारी का मुकदमा कायम करके शीघ्रातिशीघ्र कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है।