बुलंदशहर: एक तरफ प्रदेश में कोरोना से कोहराम मचा हुआ है और दूसरी तरफ हाल ही में पंचायत चुनाव संपन्न हुए। ये पंचायत चुनाव ऐसे समय में संपन्न हुए जब कोरोना अपने पीक पर था। ऐसे में चुनाव ड्यूटी में तैनात के प्रदेश के 700 शिक्षक कोरोना की भेंट चढ़ गए। ताजा मामला प्रदेश के बुलंदशहर जनपद का है। जहां पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान 18 शिक्षकों की कोरोना की चपेट में आने से मौत हो गई।
त्रासदी से सबक लेने की बजाय निर्वाचन आयोग ने सरकारी मुलाज़िमों की ड्यूटी फिर से पंचायत उपचुनाव में लगा दी है। जिसके लिए आज बाकायदा कर्मचारियों को चुनाव की बारीकियां भी सिखाई गई। ऐसे में अंदाजा लगाया सकता है कि हाकिम और हुक्मरान आमजन के प्रति कितना संजीदा और फिक्रमंद हैं। सबको अपनी फिक्र खुद ही करनी होगी।
बताते चलें कि, कोरोना ड्यूटी के दौरान जिंदगी की जंग हारने वाले शिक्षकों में शाहना परवीन, ताहिर हुसैन, अतुल चौहान, महेश कुमार, रविन्द्र चौधरी, श्रुति शर्मा, रामभूल भाटी, मानक चंद, विनोद सिंह, जयकरन सिंह, विनीता, सीमा गुप्ता, तंज़ीम अब्बास, हिरोशिमा, राकेश कुमार, पुष्पा पुंडीर, नवनीत शर्मा और बबली शामिल हैं।
हाकिम और हुक्मरानों के लिए भले ही मृतक शिक्षक/शिक्षिकाओं की संख्या एक फ़ेहरिश्त से ज्यादा कुछ न हो, लेकिन असली दर्द उनके अंदर देखा जा सकता है जिन्होंने अपनी मां, बेटा, बहन और पति पत्नी जैसे हर दिल अजीजों को खो दिया। उनके बच्चे, पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन व परिजनों के लिए यह लम्हा कभी न भूलने वाली याद बन गई। जिन हुक्मरानों को उन्होंने अपनी वोट से सरताज बनाया, वही सत्तानशी लोग सत्ता की भूख उनके सिर से मां बाप और भाई का सहारा छीन लिया।