गाजियाबाद में बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए हो रहा 20 साल पुरानी वैन का इस्तेमाल

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में 20 साल पुरानी वैन से बच्चों को स्कूल लाया जा रहा है।

Update: 2022-05-04 08:32 GMT

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में 20 साल पुरानी वैन से बच्चों को स्कूल लाया जा रहा है। संभागीय परिवहन विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है। इस तरह के वाहनों की परिवहन विभाग ने जब्त करना शुरू कर दिया है। साथ ही स्कूल वाहनों की भी चेकिंग में तेजी लाई जा रही है।

बता दें कि मोदीनगर स्कूल बस हादसे के बाद जनपद में स्कूल वाहनों की जांच कराई जा रही है। इसके लिए देहात और शहरी क्षेत्र में परिवहन विभाग के अलग-अलग टीमें बनाई गई है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) खुद टीम के साथ वाहनों की जांच करने सुबह 7:00 बजे निकल रहे हैं। अनफिट वाहनों का चालान किया जा रहा है। साथ ही उन वाहनों को सीज किया जा रहा है, जिनका समय पूरा हो गया है। हालांकि परिवहन विभाग की सख्ती के बाद भी स्कूलों में 20 साल पुराने वाहन चल रहे हैं।

संभागीय परिवहन विभाग की चेकिंग के दौरान खुलासा हुआ है कि जो वैन 15 साल से ज्यादा की हो गई, वह अब भी स्कूलों में चल रही है। इस तरह की वैन से बच्चों को स्कूल लाया जा रहा है। इनसे हादसा होने का खतरा है, क्योंकि ऐसे वाहनों का फिटनेस नहीं कराया जा सकता। इस तरह के वैन एक दम खटारा है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया है कि कई स्कूलों में निजी वैन चल रही है। 15 साल का समय पूरा होने के बाद वैन चलने लायक नहीं होती है। वाहनों को जब्त करने का काम शुरू कर दिया है। सभी को पूर्व में नोटिस जारी किए थे। उन्होंने बताया कि स्कूल वाहनों की जांच जारी रहेगी। उन्होंने स्कूल प्रबंधकों से वाहनों की फिटनेस कराने के बाद ही चलाने के लिए कहा है। ऐसा नहीं करने पर वाहनों का चालान किया जाएगा। मियाद खत्म होने वाले वाहनों को सीज किया जा रहा है।

खटारा वैन में ज्यादा बच्चों को बैठाने के बाद चालक उन्हें तेजी में दौड़ाते हैं। ऐसे में हादसा होने का खतरा रहता है। वैन की छत पर स्कूल बैग रहते हैं। तेज गति से कई बार बैग गिर जाते हैं। वैन में मानक के हिसाब से बच्चों को नहीं बताया जाता। बता दें कि कुछ दिन पहले मुरादनगर में स्कूल वैन का पहिया निकल गया था। उस बस में 15 बच्चे सवार थे।

जनपद में पेट्रोल के 15 साल और डीजल के वाहन 10 साल तक ही चलाए जा सकते हैं। इसके बाद वाहन सड़कों पर चलने लायक नहीं होते। वाहनों का समय पूरा होने के बाद परिवहन विभाग की तरफ से नोटिस जारी किए जाते हैं। जनपद में करीब 90 हजार वाहन सड़कों पर ऐसे हैं, जिनकी मियाद पूरी हो गई है लेकिन विभाग की तरफ से नोटिस के अलावा कोई कार्यवाही नहीं की जाती।

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