खातों से 30 करोड़ साफ, वापस मिले सिर्फ 80 लाख......बर्बाद हो रहा गाजियाबाद!
साइबर अपराधियों ने इस साल के छह महीनों में गाजियाबाद के 2400 से ज्यादा लोगों के खातों से 30 करोड़ रुपये साफ कर दिए।
गाजियाबाद : साइबर अपराधियों ने इस साल के छह महीनों में गाजियाबाद के 2400 से ज्यादा लोगों के खातों से 30 करोड़ रुपये साफ कर दिए। साइबर सेल इस रकम में से सिर्फ 80 लाख रुपये ही वापस दिला पाई है। वापस मिली रकम उन लोगों की है जिन्होंने ठगी होने के तुरंत बाद ही पुलिस को सूचना दी। इस रकम को मनी वॉलेट में रोककर अपराधियों के खाते में जाने से रोका गया और फिर वापस कराया गया। इस बीच अपराधियों के खातों में तीन करोड़ से ज्यादा की रकम फ्रीज कराई गई है।
छह महीनों में सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर उससे रकम साफ कर देने की आई हैं। दूसरे नंबर पर एप लोन के मामले हैं। पिछले दो महीनों में इनकी शिकायतें बढ़ी हैं। अपराधी एप के माध्यम से मिनटों में ऋण दे रहे हैं। फिर कई गुना तक वसूली कर रहे हैं। इसके लिए ब्लैकमेलिंग तक कर रहे हैं। कई लोगों के अश्लील फोटो बनाकर उनके परिचितों और रिश्तेदारों को भेजे गए। अगर एक बार रकम अपराधियों के खाते में गई तो वापस मिलना बहुत मुश्किल है। कारण यह है कि 80 फीसदी से ज्यादा मामलों में गाजियाबाद के लोगों के साथ ठगी करने वाले अपराधी पश्चिमी बंगाल, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ के हैं। इतनी दूर जाने से पुलिस बचती है। दूसरा, अपराधी खातों में रकम ज्यादा देर रखते नहीं है। इधर किसी का पैसा खाते में आया और उधर निकाल लिया।
चोरी, लूट से कई गुना साइबर अपराध
चोरी-लूट के मुकाबले साइबर अपराध कई गुना बढ़ गया है। चोरी-लूट में लोगों की इतनी रकम नहीं जा रही जितनी रकम साइबर ठगी होने पर जा रही है। चोरी-लूट के छह माह में करीब 600 मामले दर्ज हुए हैं। इस बीच साइबर ठगी के करीब 2400 मामले दर्ज हो गए।
20 से 25 दिन में बदल रहे तरीके
शातिर एक तरीके से ठगी करने के बाद 20 से 25 दिन में उसमें बदलाव करके ठगी करने लगते हैं। साइबर एक्सपर्ट विशाल गुप्ता ने बताया कि शातिर ऐसा पुलिस से बचने और उन्हें गुमराह करने के लिए ऐसा करते हैं। जैसा एप लोन में शातिर पहले सामान्य तरीके से ठगी कर रहे थे लेकिन इसके कई मामले दर्ज होने के बाद उन्होंने इसमें बदलाव करके लोगों के मोबाइल डाटा चोरी करके बदनामी का डर दिखाकर ठगी करने लगे।
शिकायत में देरी न करें
साइबर सेल प्रभारी अंशू जैन का कहना है कि जितनी जल्दी शिकायत मिलती है, ठगी की रकम के वापस होने की उतनी ज्यादा उम्मीद बढ़ जाती है। जो रकम वॉलेट में जाती है, शिकायत मिलने पर उसे ब्लॉक कराकर वापस करा दिया जाता है।