डिप्टी सीएम बृजेश पाठक v/s नगर स्वास्थ्य अधिकारी मिथिलेश कुमार कौन सच्चा कौन झूठा
Deputy CM Brijesh Pathak v/s City Health Officer Mithilesh Kumar, who is true and who is false
गाजियाबाद। पिछले 4 सालों से नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर तैनात डा मिथलेश जांच के घेरे में आ गए है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने जांच का दायित्व मेरठ मंडल के अपर निदेश चिकित्सा स्वास्थ्य को सौंपा है। आरोप है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सीसीटीवी कैमरे तथा बायोमैट्रिक मशीन आदि क्रय से जुडी भुगतान से संबंधित पफाइलों में कमीशन के चलते अनावश्यक देरी की गई।
बताते है स्वच्छ भारत मिशन के तहत गाजियाबाद में विभिन्न स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कार्य चार साल पहले दिल्ली की मै. जितिन प्रसाद आनंद कम्प्यूटर्स फर्म को दिया गया था। कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमेट्रिक मशीन की खरीद भी की गई थी, जिस समय यह खरीद हुई थी। फर्म ने फरवरी 2019 में भुगतान के लिए बिल लगाए थे, लेकिन पत्रावलियों का अवलोकन सात माह तक भी नहीं किया गया। इस मामले में आरोप लगा था कि भुगतान से पहले कमीशन के चक्कर में पत्रावलियों का अवलोकन नहीं किया गया है और भुगतान के लिए बिल लेखा अधिकारी के पास नहीं भेजा गया।
बता दें कि मिथिलेश कुमार लगातार निगम में विवादों से घिरे रहते हैं और बोर्ड में भी कई बार पार्षदों ने इनका विरोध किया लेकिन ऊंचे रसों के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती वही जानकारों का कहना है कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत जो हाजरी स्थलों आदि पर सीसीटीवी कैमरे तथा बायोमैट्रिक मशीनें कर्मचारियों की उपस्थिति की पडताल के लिए लगाए गए थे, वह किन स्थिति में है, दूर तक भी देखने वाला कोई नहीं है। जानकारों की मानें तो न केवल सीसीटीवी कैमरे से गायब हो गए है बल्कि बायोमैट्रिक मशीनें धूल फॉक रही है।
उधर डिप्टी सीएम के ट्वीट करने के बाद नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी मिथिलेश कुमार मीडिया के सामने आए और डिप्टी सीएम के आरोपो को झूठा बताया । और कहा कि यह पुराना मामला है। इस मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी यह तो समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल उपमुख्यमंत्री के आरोपो के बाद नगर स्वास्थ्य अधिकारी मिथिलेश कुमार मीडिया के सामने खुलकर बोले।
अरुण चंद्रा