गाजियाबाद के बिल्डर विक्रम त्यागी को पुलिस ढूंढने में नाकाम, परिजन बैठे धरने पर लेकिन बीजेपी के बड़े नेता ने जब कही ये बात तब!
अब देखना यह है कि आखिर विक्रम त्यागी को पुलिस कब तक तलाश पाती है.
गाजियाबाद पुलिस विक्रम जोशी की जान तो नहीं बचा पाई लेकिन विक्रम त्यागी को भी ढूढने में असफल साबित हुई है. पेशे से बिल्डर विक्रम त्यागी 26 जून से लापता है और उनके खून से सनी गाड़ी अगले दिन यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में बरामद हुई थी. गाजियाबाद पुलिस की नाकामी के बाद इस केस में यूपी एसटीएफ को लगाया गया लेकिन वह भी अब तक नाकाम ही नजर आ रही है.
विक्रम त्यागी के ना मिलने से गुस्साए लोग अब अनशन पर बैठ गए और अब तो खुद भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता मानने लगे हैं कि कहीं ना कहीं इसमें पुलिस की कमी रही है. हालांकि आला अधिकारियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया है. धरने पर गाजियाबाद पुलिस के खिलाफ नारेबाजी हो रही है और हो भी क्यों ना क्योंकि किसी का बेटा किसी का भाई किसी का पिता किसी का पति 26 जून से लापता है.
गाजियाबाद राज नगर एक्सटेंशन हाई सोसाइटी केडीवी में रहने वाला बिल्डर विक्रम त्यागी 26 जून को लापता हो गया था. उनकी आखिरी लोकेशन यही राजनगर एक्सटेंशन में आई थी. उसके बाद से वह अपनी इनोवा कार से लापता थे. विक्रम की कार अगले दिन मुजफ्फरनगर इलाके में मिली थी और वहां उसमें खून ही खून था. विक्रम के परिजन आरोप लगाते हैं कि पुलिस ने जो बेसिक कार्यवाही करनी थी वह भी नहीं की विक्रम के परिजनों के मुताबिक पुलिस को सूचना मिलने के बाद आसपास के इलाकों में वायरलेस करना चाहिए था लेकिन जब वह खुद राज नगर एक्सटेंशन विक्रम और उसकी गाड़ी को तलाश रहे थे तो वहां मौजूद पुलिस वालों ने यह नहीं बताया कि उन्हें इस तरह की कोई जानकारी कंट्रोल रूम से मिली है. इसके अलावा विक्रम के परिजनों का आरोप है कि मुजफ्फरनगर में गाड़ी रोकी गई लेकिन वहां भी जानकारी ना होने के कारण उसे जाने दिया.
वही उत्तर प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के गाजियाबाद से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मेयर और पार्टी के कद्दावर नेता आशु वर्मा ने भी गाजियाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. उनके मुताबिक इस पूरे मामले में कहीं ना कहीं पुलिस की नाकामी सामने आई है. यह अनशन पिछले 4 दिनों से लगातार चल रहा है और आगे पता नहीं कब तक चलेगा. अपनी नाकामी को छुपाने के लिए आला अधिकारियों ने थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया है. दबे शब्दों में ही सही गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी कहते हैं कि 1 महीने के कार्यकाल में संचित कार्रवाई ना होने के चलते थाना प्रभारी को लाइन आदेश दिया गया है. अब देखना यह है कि आखिर विक्रम त्यागी को पुलिस कब तक तलाश पाती है.